छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं।हमारे आसपास पाए जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधों के पत्तों, फलों आदि का टोटकों के रूप में उपयोग भी हमारी सुख-समृद्धि की वृद्धि में सहायक हो सकता है। यहां कुछ ऐसे ही सहज और सरल उपायों का उल्लेख प्रस्तुत है, जिन्हें अपना कर पाठकगण लाभ उठा सकते हैं।
बिल्व पत्र : अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूघ निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है।
अपामार्ग की जड़ : अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे।
नागर बेल का पत्ता : यदि घर में किसी वस्तु की चोरी हो गई हो, तो भरणी नक्षत्र में नागर बेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर व सुपारी डालकर चोरी वाले स्थान पर रखें, चोरी की गई वस्तु का पला चला जाएगा।
संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर तावीज में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आपसे प्रभावित होंगे।
आक की जड़ : कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।
दूधी की जड़ : सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।
शंख पुष्पी : पुष्य नक्षत्र में शंखपुष्पी लाकर चांदी की डिविया में रखकर तिजोरी में रखें, धन की वृद्धि होगी।
बरगद का पत्ता : अश्लेषा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखें, भंडार भरा रहेगा।
धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
बेहड़े का पत्ता : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।
नीबू की जड़ : उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं, उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
चंपा की जड़ : हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें, बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।
चमेली की जड़ : अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे।
काले एरंड की जड़ : श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें, उसे संतान की प्राप्ति होगी।
तुलसी की जड़ : पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर रखें, अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।
अपामार्ग या चिरचिंटा लटजीरा तंत्र:
इस वनस्पति को रवि-पुष्य नक्षत्र मे लाकर निम्न प्रयोग कर सकते हैं।
1. इसकी जड़ को जलाकर भस्म बना लें। फिर इस भस्म का नित्य गाय के दूध के साथ सेवन करें, संतान सुख प्राप्त होगा।
2. लटजीरे की जड़ अपने पास रखने से धन लाभ, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।
3. इसकी ढाई पत्तियों को गुड़ में मिलाकर दो दिन तक सेवन करने से पुराना ज्वर उतर जाता है।
4. इसकी जड़ को दीपक की भांति जला कर उसकी लौ पर किसी छोटे बच्चे का ध्यान केन्द्रित कराएं तो उस बच्चे को बत्ती की लौ में वांछित दृश्य दिखाई पड़ेंगे।
5. इसकी जड़ का तिलक माथे पर लगाने से सम्मोहन प्रभाव उत्पन्न हो जाता है।
6. इसकी डंडी की दातून 6 माह तक करने से वाक्य सिद्धि होती है।
7. इसके बीजों को साफ करके चावल निकाल लें और दूध में इसकी खीर बना कर खाएं, भूख का अनुभव नहीं होगा।
ग्रह पीड़ा निवारक मूल-तंत्र
सूर्य:- यदि कुंडली में सूर्य नीच का हो या खराब प्रभाव दे रहा हो तो बेल की जड़ रविवार की प्रातः लाकर उसे गंगाजल से धोकर लाल कपड़े या ताबीज में धारण करने से सूर्य की पीड़ा समाप्त हो जाती है। ध्यान रहे, बेल के पेड़ का शनिवार को विधिवत पूजन अवश्य करें।
चंद्र:- यदि चंद्र अनिष्ट फल दे रहा हो तो सोमवार को खिरनी की जड़ सफेद डोरे में बांध कर धारण करें। रविवार को इस वृक्ष का विधिवत पूजन करें।
मंगल:- यदि मंगल अनिष्ट फल दे रहा हो तो अनंत मूल या नागफनी की जड़ लाकर मंगलवार को धारण करें।
बुध:- यदि बुध अनिष्ट फल दे रहा हो तो विधारा की जड़ बुधवार को हरे डोरे में धारण करें।
गुरु:- यदि गुरु अनिष्ट फल दे रहा हो तो हल्दी या मारग्रीव केले (बीजों वाला केला) की जड़ बृहस्पतिवार को धारण करें।
शुक्र:- यदि शुक्र अनिष्ट फल दे रहा हो तो अरंड की जड़ या सरफोके की जड़ शुक्रवार को सफेद डोरे में धारण करें।
शनि:- यदि शनि अनिष्ट फल दे रहा हो तो बिच्छू (यह पौधा पहाड़ों पर बहुतायत में पाया जाता है) की जड़ काले डोरे में शनिवार को धारण करें।
राहु:- यदि राहु अनिष्ट फल दे रहा हो तो सफेद चंदन की जड़ बुधवार को धारण करें।
केतु:- यदि केतु अनिष्ट फल दे रहा हो तो असगंध की जड़ सोमवार को धारण करें।
मदार तंत्र
श्वेत मदार की जड़ रवि पुष्य नक्षत्र में लाकर गणेश जी की प्रतिमा बनाएं और उसकी पूजा करें, धन-धान्य एवं सौभाग्य में वृद्धि होगा। यदि इसकी जड़ को ताबीज में भरकर पहनें तो दैनिक कार्यों में विघ्न बहुत कम आएंगे और श्री सौभाग्य में वृद्धि होगी।
गोरखमुंडी तंत्र
मुंडी एक सुलभ वनस्पति है । इसम अलौकिक औषधीय एवं तांत्रिक गुणों का समावेश है। इसे रवि पुष्य नक्षत्र में पहले निमंत्रण दे कर ले आएं। पूरे पौधे का चूर्ण बनाकर जौ के आटे में मिलाएं। फिर उसे मट्ठे म सान कर रोटी बनाएं और गाय के घी के साथ इसका सेवन करें, शरीर के अनेक दोष जिनमें बुढ़ापा भी शामिल है, दूर हो काया कल्प हो जाएगा और शरीर स्वस्थ, सबल और कांतिपूर्ण रहेगा। हरे पौधे के रस की मालिश करने से शरीर की पीड़ा मिट जाती है। इसके चूर्ण का सेवन दूध के साथ करने से शरीर स्वस्थ एवं बलवान हो जाता है। इसके चूर्ण को रातभर जल के साथ भिगो कर प्रातः उससे सिर धोने से केशकल्प हो जाता है। इसके चूर्ण का नित्य सेवन करने से स्मरण, धारण, चिंतन और वक्तृत्व शक्ति की वृद्धि होती है।
श्यामा हरिद्रा:
काली हल्दी को ही श्यामा हरिद्रा कहते हैं। इसे तंत्र शास्त्र में गणेश-लक्ष्मी का प्रतिरूप माना गया है। श्यामा हरिद्रा को रवि पुष्य या गुरु पुष्य नक्षत्र में लेकर एक लाल कपड़े में रखकर षोडशोपचार विधि से पूजन करने का विधान है। इसके साथ पांच साबुत सुपारियां, अक्षत एवं दूब भी रखने चाहिए। फिर इस सामग्री को पूजन स्थल पर रखकर प्रतिदिन धूप दें। यह पारिवारिक सुख में वृद्धि के साथ ही आर्थिक दृष्टि से भी लाभ देता है।
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