तीन महाशुन्यों पर भगवती महाकाली विराजमान है तो वही साथ महाशुन्यों पर तारा विराजमान है तारा अर्थात प्रकाश। तीन और सात का अनुपात है सात प्रतिशत जगत प्रकाशमान है और तीन प्रतिशत जगत अप्रकाशवान है अदृश्य है। इस तीन प्रतिशत अदृश्य एवं अप्रकाशवान का ही नाम अद्वैत है परंतु यह अद्वैत इतना शक्तिशाली है कि इसमें 7% जगत कहां विलुप्त हो जाता है पता ही नहीं चलता है। एक रत्न होता है काला हकीक, बिल्कुल काला अब यह दुर्लभ हो गया है अब इसकी जगह नकली लीपे पुते हकीक मिलते हैं ठीक इसी प्रकार एक रत्न होता है काला तुरमुलीन जो कि दुर्लभ है इसी श्रृंखला में काला हीरा भी आता है अधिकांशत: काले हीरे मानव निर्मित या रंग किए हुए होते हैं परंतु काला हीरा अपने आप में परम तांत्रिक वस्तु है। जापानी लोग पाश्चात्य लोग हमेशा से महाकाली के परम उपासक रहे हैं वह समझ गए कि जो कुछ मिलेगा अद्वैत में से ही मिलेगा और जो कुछ हमें विलुप्त करना है उसके लिए भी हमें अद्वैत सिद्ध करना होगा अर्थात काली को सिद्ध करना होगा।
इन तीनों रत्नों में इतनी दुर्लभ कालिका सिद्धि है कि यह मस्तिष्क में बेवजह उठ रही विचार तरंगों विद्युतीय तरंगों अदृश्य तरंगों को खींच लेते हैं सोख लेते हैं अपने आप में विलीन कर लेते हैं। यह मस्तिष्क की समस्त विकृतियों को रोकने में सक्षम है इन के माध्यम से परम नकारात्मक शक्तियों का शोषण भी हो सकता है उन्हें किसी स्थान विशेष पर प्रक्षेपित भी किया जा सकता है। अधिकांशतः अंतरिक्ष वायुयानो मे लड़ाकू जहाजों में रडारो मे इन विशुद्ध काले रत्नों का उपयोग गोपनीय कारणों से किया जाता है यह तीनों रत्न प्रकृति द्वारा प्रदत महा प्रत्यंगिरा तत्वों से युक्त है। मनुष्य का मस्तिष्क बहुत खतरनाक है मनुष्य का मस्तिष्क परम उत्पादक है यह कुछ भी उत्पादित कर सकता है इसमें अनंत कारखाने लगे हुए हैं। कोई भी विलक्षण एवं शक्तिशाली मस्तिष्क चाहे तो विवाद उत्पन्न कर दें एवं विवाद ऐसा बवाल ऐसा घटना ऐसी परिस्थिति ऐसी की समस्त विश्व उससे हैरान परेशान होकर रह जाए। कोई शक्तिशाली मस्तिष्क ऐसा खतरनाक षड्यंत्र किताब विष समायोजन उत्पन्न कर सकता है जिससे कि संपूर्ण विश्व लहूलुहान हो सकता है परमाणु बम हाइड्रोजन बम दुनिया भर के अस्त्र-शस्त्र का उत्पादन मनुष्य ने ही किया है। लड़ाकू धर्म, लड़ाकू हिंसा, लड़ाकू पंथ, आध्यात्मिक विचार धाराएं नास्तिक चिंतन इत्यादि सब कुछ मनुष्य के मस्तिष्क रूपी कारखाने में ही उद्दीप्त होता है।
महाकाली ऐसे काले पुरुषों ऐसी काली स्त्रियों ऐसे काले कर्म करने वाले मस्तिष्क को ढूंढती रहती है और उनका मुंड मर्दन करती है। काली करतूत काले कर्म कालिख पुती विचारधाराएं कालीमा युक्त चरित्र इत्यादि ही काले जादू है। काला जादू का क्या तात्पर्य है? काले जादू का तात्पर्य है ठगी, आंखों में धूल झोंकना, धोखा, पाखंड, हरण, काले कारनामे इत्यादि इत्यादि। इस पृथ्वी पर काले जादू के बड़े-बड़े अनुसंधानकर्ता है वह नकल करने में माहिर हैं नकल को असल सिद्ध कर दे रूप बदलकर भेष बदलकर छद्म रूप में खूब काला धन इकट्ठा करते हैं इन सब के पीछे खड़ग लेकर दौड़ती है महाकाली। रावण ने भी तो भेष बदलकर सीता जी का अपहरण कर लिया था राहु केतु ने भेष बदलकर अमृत पान कर लिया था। बहुत कुछ होता है जादू सिर्फ तकनीक है प्रबंधन है आंखों के सामने धोखा उत्पन्न करने का इसलिए काली दिगंबरा है वह दिगंबर कर देती है छल को।
शिव शासनत: शिव शासनत:
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