नीचे पूर्ण प्रामाणिक एवं वेदोक्त प्राण प्रतिष्ठिा की विधि लिखी जा रही है। इस विधि के द्वारा किसी भी बाण शिवलिङ्ग अर्थात नर्मदा से प्राप्त शिवलिङ्ग, स्फटिक शिवलिङ्ग, पारद शिवलिङ्ग या किसी अन्य पदार्थ अथवा शिला से निर्मित शिवलिङ्ग में स्वयं ही प्राण प्रतिष्ठिा कर सकते हैं। मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करने की क्रिया प्रत्येक सनातनी को आनी चाहिये इस पर उसका जन्म सिद्ध अधिकार है। इस वैदिक रीति का अविष्कार भी भारतवंशियों के पूर्वजों ने ही किया है।
प्राण प्रतिष्ठा मन्त्र का विनियोग
प्रतिष्ठा से पूर्व जल ग्रहण कर निम्न रूप से विनियोग करें
विनियोग
ॐ अस्य श्री प्राणप्रतिष्ठामन्त्रस्य ब्रह्मविष्णुमहेश्वरा ऋषयः, ऋग्यजुः सामानिच्छन्दांसि क्रियामयवपुः प्राणाख्या देवता आँ बीजं हीं शक्ति क्रौं कीलकं देव (देवी) - प्राणप्रतिष्ठा से विनियोगः ।
इतना कहकर जल भूमि पर छोड़ दें।
प्राण प्रतिष्ठा--
हाथ में पुष्प लेकर उसे शिवलिंग पर स्पर्श कराते हुए नीचे लिखे मंत्र बोले
ॐ ब्रह्मविष्णुरुद्रऋषिभ्यो नमः, शिरसि | ॐ ऋन्यजुः सामच्छन्दोभ्यो नमः, मुखे । ॐ प्राणाख्यदेवतायै नमः,हृदि । ॐ आँ बीजाय नमः गुह्ये । ॐ हीं शक्त्यै नमः, पादयोः । ॐ क्राँ कीलकाय नमः, सर्वाङ्गेषु ।
इस प्रकार न्यास करके पुन:
ॐ आँ ह्रीं क्रौं यँ रँ लँ वँ शँ षँ सँ हँ सः सोऽहं शिवस्य प्राणा इह प्राणा: । ॐ आँ ह्रीं क्रौं यँ रँ लँ वँ श षँ सँ हँ सः सोऽहं शिवस्य जीव इह स्थितः । ॐ ॐ ह्रीं क्रौं यँ रँ लँ वँ शँ बँसँ हँसः सोऽहं शिवस्य शिवस्य सर्वेन्द्रियाणि वाड्यनस्त्वक् चक्षुः श्रोत्रघ्राणजिह्वापाणिपादपायूपस्थानि इहागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा ।
ऐसा कहकर शिवलिंग पर पुष्प छोड़ें और आवाहन करें
ॐ भूः पुरुषं साम्बसदाशिवमावाहयामि । ॐ भुवः पुरुषं साम्बसदाशिवमावाहयामि । ॐ स्वः पुरुषं साम्बसदाशिवमावाहयामि । ॐ स्वामिन् सर्वजगन्नाथ यावत्पूजावसानकम् । तावत्त्वम्प्रीतिभावेन लिङ्गेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ॥
इस तरह प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात् स्थापित शिवलिङ्ग को किसी भी पूजा घर या मंदिर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजा अर्चना की जा सकती है। प्राण प्रतिष्ठित शिवलिङ्ग की प्रतिदिन पूजा अर्चना भी उतनी ही आवश्यक है जितनी की प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन भोजन एवं पानी की होती है। भगवान शिव को केवल प्रेम, श्रद्धा, विश्वास और समर्पण की जरूरत होती है।
शिव शासनत: शिव शासनत:
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