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राम नाम की महिमा ।।

राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त ने 'यशोधरा' में राम के आदर्शमय महान जीवन के विषय में कितना सहज व सरस लिखा है-


राम। तुम्हारा चरित् स्वयं ही काव्य है ।
कोई कवि बन जाए सहज संभाव्य है ॥

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ‘साकेत’ महाकाव्य में राम के चरित्र को ही कवि बनने का मूलाधार बताते हैं। राम तुम्हारा चरित्र स्वयं ही काव्य है। कोई कवि बन जाए सहज संभाव्य है। राम कथा में सत्य से बढ़कर दूसरा कोई अन्य धर्म ही नहीं है। 
 
यह तो हुई ज्ञान की बात । अब जानते हैं राम नाम को जपने वाले लोगों के बारे में । कहते हैं राम से बड़ी राम नाम की महिमा है । जिसने राम नाम लिया, वह तर गया । राष्ट्रकवि मैथिलिशरण गुप्त ने स्वयं स्वीकारा है कि राम नाम लेने से ही वह कवि बन गए । अब जानते हैं अन्य लोगों के बारे में जो राम नाम लेने से तर गए ।

1. वाल्मिकि : जोकि एक डाकू था रामायण लिखकर अमर हो गए

2. तुलसीदास : गरीब व्यक्ति जो रामचरितमानस लिखकर लोगों में प्रसिद्ध हो गए।

3. कम्बन : तमिल लेखक जिन्होंने तमिलभाषा में रामायाण की रचना की व दक्षिण भारत में राम नाम को प्रचलित किया व आज तक जाने जाते हैं।

4. रामानंद सागर : जिन्होंने रामायण के नाम से टी.वी श्रंखला बनाई व प्रसिद्ध हो गए व करोड़ों कमाए ।

5. मुरारी बापु : रामकथा सुनाने वाले जो देश विदेश में करोड़ों का सत्संग चलाते हैं ।

6. भाजपा : जिसके कभी दो सांसद थे आज राम मंदिर के कारण से पूर्ण सत्ता पा चुका है.

और भी कितने ही भाषाओं के कवि व लेखक जो केवल राम नाम का वर्णन करके जीवन चला गए । आज भी ऐसे असंख्य लोग हैं जो राम कथा सुनाकर जीवन यापन कर रहे हैं ।

आम लोगों के लिए भी राम नाम की महिमा अपरंपार है । कोई भी कार्य जीवन में करना हो तो राम का नाम लेकर जुट जाएं । प्रसिद्धि व धन जरूर मिलेगा । राम के साथ जुड़ने से एक आत्मिक बल मिलता है । यूं समझिए यह एक सफलता का मन्त्र है । अगर किसी भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं तो मेहनत के साथ राम नाम को भी जोड़ लें, सफलता तुम्हारे कदम चूमेंगी, क्योंकि अब तुम अकेले नहीं रहे ।

तो बोलो जय श्री राम

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