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महाकाल स्तोत्रम् ।।


            यह स्तोत्र महाकाल भैरव के नाम से तंत्र ग्रंथ में मिलता है। इस स्तोत्र को स्वयं भगवान महाकाल ने भगवती भैरवी के पूछने पर बतलाया था। भगवान महाकाल तथा उनके विभिन्न नामों का इसमें स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया है। अंत में ॐ ह्रीं सच्चिदानन्दतेजसे स्वाहा । इस मंत्र का तथा सोऽहं हंसाय नमः इस मंत्र का स्वरूप भी व्यक्त किया है। इस स्तोत्र के पाठ से भगवान महाकाल के पूजन का फल प्राप्त होता है और यह साधकों को सुख प्रदान करने वाला है।

महाकाल स्तोत्रम्

ॐ महाकाल महाकाय, महाकाल जगत्पते । 
महाकाल महायोगिन्, महाकाल नमोऽस्तुते ।। 

महाकाल महादेव, महाकाल महाप्रभो । 
महाकाल महारुद्र, महाकाल नमोऽस्तुते ॥ 

महाकाल महाज्ञान, महाकाल तमोऽपहन् । 
महाकाल महाकाल, महाकाल नमोऽस्तुते ॥ 

भवाय च नमस्तुभ्यं, शर्वाय च नमो नमः । 
रुद्राय च नमस्तुभ्यं, पशूनां पतये नमः ॥ 

उग्राय च नमस्तुभ्यं, महादेवाय वै नमः । 
भीमाय च नमस्तुभ्यमीशानाय नमो नमः ॥ 

ईश्वराय नमस्तुभ्यं, तत्पुरुषाय वै नमः । 
सद्योजात नमस्तुभ्यं, शुक्लवर्ण नमो नमः ॥ 

अधः कालाग्नि रुद्राय, रुद्ररूपाय वै नमः । 
स्थित जुत्पत्ति-लयानां च हेतु-रूपाय वै नमः ॥ 

परमेश्वर-रूपस्त्वं नीलकण्ठ नमोऽस्तुते ।
पवनाय नमस्तुभ्यं, हुताशन नमोऽस्तुते ॥

सोमरूप नमस्तुभ्यं, सूर्य रूप नमोऽस्तुते ।
यजमान नमस्तुभ्यमाकाशाय नमो नमः ॥ 

सर्वरूप नमस्तुभ्यं, विश्वरूप नमोऽस्तुते । 
ब्रह्मरूप नमस्तुभ्यं, विष्णुरूप नमोऽस्तुते ॥ 

रुद्ररूप नमस्तुभ्यं, महाकाल नमोऽस्तुते ।
स्थावराय नमस्तुभ्यं, जङ्गमाय नमो नमः ॥ 

नम उभय-रूपाभ्यां, शाश्वताय नमो नमः । 
हुं हुङ्कार ! नमस्तुभ्यं, निष्कलाय नमो नमः ॥ 

अनाद्यन्त महाकाल, निर्गुणाय नमो नमः । 
सच्चिदानन्द-रूपाय, महाकालाय ते नमः ॥ 

प्रसीद मे नमो नित्यं, मेघवर्ण! नमोऽस्तुते । 
प्रसीद मे महेशान दिग्वासाय नमो नमः ॥ 

ॐ ह्रीं माया स्वरूपाय, सच्चिदानन्द- तेजसे । 
स्वाहा सम्पूर्णमन्त्राय, सोऽहं हंसाय ते नमः ॥ 

फलश्रुति --

इत्येवं देव-देवस्य, महाकालस्य भैरवि ! । 
कीर्तितं पूजनं सम्यक्, साधकानां सुखावहम् ॥

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