Follow us for Latest Update

सरस्वती पूजन ।।

       यंत्र का आवरण पूजन सम्पन्न किया जाता है एवं विग्रह का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। सरस्वती के पूजन के लिए हाथी दाँत के ऊपर बनी हुई मूर्ति ही श्रेष्ठ मानी जाती है। अभिषेक भी मूर्ति विग्रह का ही सम्पन्न किया जाता है। सर्वप्रथम आम के चौंकी पर श्वेत वस्त्र बिछाकर सरस्वती विग्रह को स्थापित करें तदुपरांत लघु प्राण-प्रतिष्ठा मंत्र पढ़कर विग्रह को पुष्प के द्वारा संस्पर्शित करें फिर नीचे लिखे मंत्रों को श्रद्धापूर्वक पढ़ते हुए पूजन सामग्री विग्रह पर अर्पित करते जायें अंत में क्षमा प्रार्थना एवं आरती अवश्य कर लें।

गणेश ध्यानम्

ॐ सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजगणकः। 
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः ॥ 
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः । 
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छुणुयादपि ॥ 
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा । 
संग्रामे संकटश्चैव विघ्न तस्य न जायते ॥ 
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् । 
प्रसन्न वदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये ॥ 
ध्यानोपरांत हाथ के अक्षत, पुष्प तथा जल को पूजा चौकी पर श्रीगणेश जी के निमित्त अर्पित करें। तदुपरांत पुन: हाथ में अक्षत लेकर निम्नवत स्वस्तिवाचन करें।

स्वस्ति वाचन

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा स्वस्तिनः पूषा : विश्वेदाः स्वस्तिनस्तार्क्ष्यो अरिष्ट नेमिः स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ पयः पृथिव्यां पय ओषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयोधाः पय स्वतिः प्रदिशः सन्तु मह्यम् ॥
ॐ विष्णोरराटमसि विष्णोः श्नप्वेस्थो विष्णोः स्यूरसि विष्णोध्रुवोसि वैष्णवमसि विष्णवेत्ता ॥
ॐ अग्निर्देवता वातो देवता सूर्यो देवता चन्द्रो देवता वसवो देवता रुद्रो देवताऽदित्यो देवता मरुतो देवता विश्वेदेवा देवता बृहस्पतिर्देवतेन्द्रो देवता वरुणो देवता ॥
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष शान्तिः पृथ्वी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्ति वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्बह्म शान्ति: सर्व शान्तिः शान्तिरेव शान्ति सामाशान्ति रेधि ॥
ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव यद्भदं तन्न आसुव ।।            
                 ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिर्भवतु ॥
पवित्रीकरणम्

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । 
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥ 
उक्त मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने शरीर पर तीन बार जल छिड़कें तथा आचमन कर धोए ।

रक्षा-विधान

ॐ अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमि संस्थिताः । ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ॥
भूत-शुद्धि के उपरांत दाएं हाथ में जल, अक्षत तथा यज्ञोपवीत लेकर निम्नलिखित संकल्प मंत्र का उच्चारण करें।

संकल्प

हरिः ॐ तत्सत् । नमः परमात्मने श्रीपुराण पुरुषोत्तमाय श्रीमद्भगवते महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य ब्रह्मणो द्वितीय प्रहरार्द्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे जंबूद्वीपे भरतखंडे भारतवर्षे आर्यावर्तान्तर्गते देशैक पुण्यक्षेत्रे षष्ठि संवत्सराणां मध्ये अमुकं नाम्नि संवत्सरे, अमुक अयने, अमुक ऋतौ, अमुक मासे, अमुक पक्षे, अमुक तिथौ, अमुक नक्षत्रे, अमुक योगे, अमुक वासरे, अमुक राशिस्थे सूर्ये, चन्द्रे, भौमे, बुधे, गुरौ, शुक्रे, शनौ, राहौ, केतौ एवं गुण विशिष्टायां तिथौ अमुक गोत्रोत्पन्न, अमुक नाम्नि ( शर्मा वर्मा इत्यादि ) ऽहं धर्मार्थ काम मोक्षहेतवे श्री सरस्वती पूजनमहं करिष्ये ।
अमुक के स्थान वार माह, दिन, तिथि आदि का नाम लें।

सरस्वती ध्यानम्
अब दोनों हाथें में पुष्प अक्षत आदि लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवती सरस्वती का ध्यान करें

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृत्ता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः ।

आवाहनम्

ध्यान के पश्चात् हाथ में पुष्प लेकर भगवती का निम्र मंत्रोच्चार के साथ आवाहन करें और पुष्पों को आसन के निकट छोड़ दें।

सर्वलोकस्य जननी वीणा पुस्तक धारिणी । 
सर्वदेवमयीमीशा देव्यांमावाहयाम्यह्यं ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।

आसनम्

दोनों हाथों में श्वेत कमल पुष्प लेकर अंजली बनाकर निम्म्र मंत्रोच्चार करते हुए भगवती को आसन दें

तप्तकाञ्चनवर्णाभं मुक्तामणि विराजितम् । 
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । आसनम् समर्पयामि।

पाद्यम्

आचमनी में जल लेकर तीन बार भगवती के चरणों में पाद्य अर्पित करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें

सर्वतीर्थ समुद्भूतं पाद्यं गन्धादिभिर्युतम् । 
मयादत्तं गृहाणेदं भगवती भक्त वत्सले ॥ 
ॐ बीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । पादयोः पाद्यं समर्पयामि।

(क्रमशः)
@Sanatan

सरस्वती पूजन (२)

अर्ध्यम्
आचमनी में जल लेकर भगवती को अर्ध्य अर्पित करें निम्नानुसार मंत्रोच्चारण करें

अष्टगंध समायुक्तं स्वर्णपात्र प्रपूरितम् । 
अर्घ्यं गृहाणामद्दत्तं सरस्वत्यै नमोऽस्तुते ।
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । हस्तयोरर्घ्यं समर्पयामि।

आचमनम्

आचमनी में जल लेकर तीन बार भगवती के आचमन हेतु निम्न मंत्रोच्चार के साथ अर्पित करें-

सर्वलोकस्य या शक्तिर्ब्रह्मा विष्णु शिवादिभिः स्तुता ददाम्याचमनं सरस्वत्यै मनोहरम् ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । आचमनीयं जलं समर्पयामि।

स्नाम्

चन्दन, केसर इत्यादि से सुगंधित जल ताम्र पत्र में लेकर भगवती को स्नान करायें निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

पंचामृत समायुक्तं जाह्नवी सलिलं शुभम् । 
गृहाण विश्व जननी स्नानार्थं भक्तवत्सले ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । स्नानं समर्पयामि ।

वस्त्रम्

क्रमश: निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए भगवती को वस्त्र व उपवस्त्र अर्पित करें

दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमंत्वति मनोहरम् । 
दीयमानं मयोदेवि गृहाण जगदिम्बके । 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । वस्त्रं समर्पयामि ।

मधुपर्कम

दही व शहद आदि का मिश्रण पात्र में लेकर निम्र मंत्रोच्चार के साथ भगवती को मधुपर्क अर्पित करें-

कपिलं दधि कुन्देन्दु धवलं मधु संयुतम् । 
स्वर्ण पात्र स्थितं देवि मधुपर्क गृहाण मे ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । मधुपर्कं समर्पयामि ।
आभूषणम्

अपनी सामर्थ्य के अनुसार नाना प्रकार के आभूषण भगवती को अर्पित करें। निम्न मंत्र का उच्चारण करें

रत्नकङ्कणवैदूर्य मुक्ताहारादिकानि च। सुप्रसन्ने नमनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व मे ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । नानाविधानि कुण्डलकटकादीनि आभूषणानि समर्पयामि।

श्वेतचन्दनम्

कर्पूर आदि से संयुक्त श्वेत चंदन निम्न मंत्रोच्चार के साथ भगवती को अर्पित करें

श्री खण्डागरु कर्पूर मृमनाभि समन्वितम् । 
विलेपनं गृहाणत्वं नमोऽस्तु भक्तवत्सले ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । श्वेतचन्दनं समर्पयामि।

रक्त चन्दनम्

उपरोक्तानुसार निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवती को रक्त चंदन अर्पित करें

रक्तचन्दन सम्मिश्रं पारिजात समुद् भवम् । 
मयादत्तं गृहाणाशु चन्दनं गन्ध संयुतम् ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः रक्तचन्दनं समर्पयामि।

सिन्दूरम्

निम्र मंत्र का उच्चारण करते हुए सिंदूर से भगवती का तिलक करें

सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूर तिलकं प्रिये । 
भक्त्यादत्तं मयादेवि सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः सिन्दूरं समर्पयामि।

कुंकुमम्

तत्पश्चात् निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए कुंकुम निवेदित करें

कुंकुमं कामदं दिव्यं कुंकुम कामरूपिणम् । 
अखण्ड काम सौभाग्यं कुंकुमं प्रतिगृह्यताम् ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः। कुङ्कुम समर्पयामि।

सुगन्धित इत्र

अब निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए केवड़ा आदि विभिन्न सुगंधित द्रव्यों से सुवासित तेल (इत्र) भगवती को अर्पित करें

तैलानि च सुगंधीनि द्रव्याणि विविधानि च । 
मयादत्तानि लेपार्थं गृहाण परमेश्वरी ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः सुगन्धित तैलं पुष्पसारं च समर्पयामि ।

अक्षतम्

हाथ में अक्षत (चॉवल) लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवती को अर्पित करें

अक्षतान्निर्मलां शुद्धाम् मुक्तामणि समन्विताम् । 
गृहाण त्वं महादेवि देहि मे निर्मलां धियम् ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः अक्षतान् समर्पयामि।

पुष्पम्

अब दोनों हाथों में नाना प्रकार के सुगन्धित पुष्प लेकर निम्म्र मंत्रोच्चार के साथ भगवती को अर्पित करें

मन्दार पारिजाताद्यं पाटलं केतकीं तथा । 
मेरुवामोगरं चैव गृहणाशु मनोऽस्तु ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः पुष्पं समर्पयामि ।

पुष्पमालायाम्

अब कमल, गुलाब आदि विविध पुष्पों से निर्मित माला भगवती को अर्पित करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

पद्मशंख जपापुष्पैः शतपत्रैर्विचित्रताम् । 
पुष्पमालां प्रयच्छामि गृहणत्वं सुरेश्वरि ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः पुष्पमालां च समर्पयामि ।

दूर्वा

निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए दूर्वा (दूब) भगवती को अर्पित करें

दुर्वा विष्ण्वादि सर्वदेवानां प्रियां सर्व सुशोभनाम्। 
क्षीरसागर सम्भूतां दूर्वा स्वीकुरु सर्वदा ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । दूर्वाङ्कुरान् समर्पयामि।

अबीर- -गुलालं

निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवती को गुलाल अर्पित करें

अबीरं च गुलालं च चोबा चन्दनमेव च । 
अबीरेणार्चिता देवी ह्यतः शान्ति प्रयच्छ च ॥ 

धूपम्

निम्न मंत्रोच्चार के साथ धूप निवेदित करें

वनस्पति रसोद्भूतो गंधाढ्यः गन्ध उत्तमः । 
आनेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम ।। 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः धूपमाघ्रापयामि ।

दीपकम्

शुद्ध घी का दीपक जलाकर भगवती को दिखाएँ निम्न मंत्र का उच्चारण करें

कर्पूरवर्त्ति संयुक्तं घृत युक्तं मनोहरम् । 
तमोनाशकरं दीपं गृहाण परमेश्वरी ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः दीपं दर्शयामि ।

नैवेद्यम्

नाना प्रकार के मिष्ठान मेवा आदि भगवती को नैवेद्य के रूप में अर्पित करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें

नैवेद्यं गृह्यतां देवि भक्ष्य भोज्य समन्वितम् । 
षड्रसैरन्वितं दिव्यं सरस्वत्यैः नमोऽस्तुते ॥ ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः नैवेद्यं निवेदयामि ।

ऋतुफलम्

निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए विविध मौसमी फल भगवती को अर्पित करें.

फलेन फलितं सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम् । 
तस्मात् फल प्रदानेन पूर्णाः सन्तु मनोरथा ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः अखण्डऋतुफलं समर्पयामि।

आचमनीयम्

फल अर्पित करने के पश्चात् आचमन के लिए जल अर्पित करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें

शीतलं निर्मलं तोयं कर्पूरेण सुवासितं । 
आचम्यतामिदं देवि प्रसीद त्वं सुरेश्वरि ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः आचमनीयं जलं च समर्पयामि।

ताम्बूलम्

लौंग, कर्पूर सुपारी आदि से युक्त पान भगवती को अर्पित करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें

एलालवंग कर्पूर नागपत्रादिभिर्युतम् । 
पूंगीफलेन संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः मुखवासार्थे ताम्बूलं समर्पयामि।

दक्षिणाम्

अपनी सामर्थ्य के अनुसार भगवती को द्रव्य दक्षिणा अर्पित करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें

हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसौः । 
अनन्तपुण्य फलदमतः शान्ति प्रयच्छ मे ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः दक्षिणां समर्पयामि।

नीराजनम्

थाली में थोड़े से चॉवल लेकर उसमें कपूर प्रज्वलित कर भगवती को निवेदित करें

चक्षुदं सर्वलोकानां तिमिरस्य निवारणम्। 
आर्तिक्यं कल्पितं भक्त्या गृहाण परमेश्वरी ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः नीराजनं समर्पयामि।

प्रदक्षिणा

अब निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए खड़े होकर । दाहिनी ओर से बायीं ओर घूमें (प्रदक्षिणा करें।)

यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्या समानि च । 
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणां पदे पदे ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम: प्रदक्षिणां समर्पयामि ।
नमस्कारम्

दोनों हाथ जोड़कर भक्तिपूर्वक भगवती को प्रणाम करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि । 
यत्पूजितं मयादेवि परिपूर्णं तदस्तु मे ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः नमस्कारान् समर्पयामि ।

पुष्पांजलिम्

दोनों हाथों की अंजुली बनाकर नाना प्रकार के पुष्प भगवती को अर्पित करें

केतकी जाति कुसुमैर्मल्लिका मालती भवैः । पुष्पांजलिर्मयादत्त तावत्प्राप्यै नमोऽस्तुते ॥ 
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नमः पुष्पांजलं समर्पयामि।

प्रार्थनाम्

तत्पश्चात् दोनों हाथ जोड़कर भगवती से प्रार्थना करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें और भगवती के सम्मुख अपना माथा टेककर प्रणाम करें। पूजन के अगले दिन यंत्र और प्रतिमा को छोड़कर शेष पूजन सामग्री किसी नदी सरोवर में विसर्जित कर दें।

सुरा सुरेन्द्रदिकिरीट मौत्तिकैर्युतं सदायस्तव पादपङ्कजम् । परावर परतु वरं सुमंगलं नमामि भक्त्या तव काम्य सिद्धये ॥
                           शिव शासनत: शिव शासनत:

0 comments:

Post a Comment