प्रत्येक साधना के मार्ग में योग सिद्धि सर्वातिशायी उपकरण है।इस चक्र के अधिपति देव लाकिनीश मृत्यंजय हैं। श्रावण में शिव के इन 31नामों से जो परमेश्वर की स्तुति करता है।उनकी कृपा होने पर चक्र भेदन एवं अमृत प्राप्ति सहज संम्भाव्य वह मणिपुर का भेदन कर रुद्र कुल को प्राप्त होता है शंकर जी प्रसन्न होकर साधक को देवत्व प्रदान करते हैं।
।।स्तोत्र।।
ॐ नमः परमकल्याण नमस्ते विश्वभावन।
नमस्ते पार्वती नाथ उमाकांत नमोऽस्तुते।।
विश्वात्मने विचिन्ताय गुणाय निर्गुणाय च।
धर्माय ज्ञानमक्षाय नमस्ते सर्व योगिने।।
नमस्ते कालरुपाय त्रैलोक्य रक्षणाय च।
गोलोकघातकायैव चण्डे्शाय नमोस्तुते।।
सधोजाताय देवाय नमस्ते शूलधारिणे।
कालान्ताय च कांन्ताय चैतन्याय नमो नमः।।
कुलात्मकाय कौलाय चन्द्रशेखर ते नमः।
उमानाथ नमस्तुभ्यं योगीन्द्राय नमो नमः।।
शर्वाय सर्वपूज्याय ध्यानस्थाय गुणात्मने।
पार्वती प्राणनाथाय नमस्ते परमात्मने।।
विशेष:-इसकी108 वारआवृत्ति 21दिन करने से अनुकूलता रहती है। या फिर यथा शक्ति पाठ संपन्न करें। इस स्तोत्र का नित्य 51 पाठ करने से दिव्य अनुभूतियां होनी शुरू हो जाती है।
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