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देवर्षि नारद (Devrishi Narad)

देवर्षि नारद

भगवान विष्णु के २४ अवतार।
धर्म ग्रंथों के अनुसार देवर्षि नारद भी भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। शास्त्रों के अनुसार नारद मुनि, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं। उन्होंने कठिन तपस्या से देवर्षि पद प्राप्त किया है। वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते हैं। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं। शास्त्रों में देवर्षि नारद को भगवान का मन भी कहा गया है। श्रीमद्भागवतगीता के दशम अध्याय के 26वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है- देवर्षीणाम्चनारद:। अर्थात देवर्षियों में मैं नारद हूं।

Devrishi Narad

One of the 24 Avatars Of Parbrahma Vishnu.
Parbrahma Vishnu took his fourth incarnation as Narada. Narada by becoming a 'Devarishi' among all the sages, achieved liberation from all of his Karma's (action). Narada was the one who gave discourses to the Vaishnavas (followers of Lord Vishnu) on 'Pancharatra Tantra'. Parbrahma Vishnu in his incarnation as Narada, showed that, the devotion is the best mean of getting liberated from all the bondages of 'Karma's'. He also said that a devotee of Parbrahma Vishnu is the supreme among the devotees in the same way as Devarishi Narada among the Sages.


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