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नवरात्र में व्रत तीन प्रकार से हो सकता है-


• एकभुक्त: आधा दिन व्यतीत हो जाने पर हविष्यान्न भक्षण।
• नक्त: रात्रिकाल में एक समय हविष्यान्न भक्षण।
• उपवास: व्रत के दिन भोजन का पूर्णतः त्याग। 

जो नवरात्र में एकभुक्त अथवा नक्त रूप से व्रक करेंगे वे हविष्यान्न भक्षण करें और आमिष वस्तु का सर्वथा त्याग करें। 
ध्यातव्य- द्विजों के लिए भैंस का दुग्ध आदि निषिद्ध है।

सामान्य दिनों में भी अधिक से अधिक प्रयास रहना चाहिए कि आमिष भक्षण ना हो।

व्रत करने वाले-
• सूर्योदय से पूर्व स्नान इत्यादि समाप्त करें एवं दिन में शयन ना करें।
• भूमि पर ही शयन करें।
• प्यास लगने पर ही जल ग्रहण करें।
• पुरुष और अविवाहित स्त्रियाँ तेल, इत्र, शृंगार इत्यादि का त्याग करें।


● जो नौ दिन का व्रत नहीं कर सकते वे सप्तमी, अष्टमी, नवमी -इन तीन दिनों व्रत करके फल प्राप्त कर सकते हैं।

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