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नाग तंत्रम् ।।

            ज्योतिष अध्यात्म की एक शाखा है परन्तु यह सामान्यतः एक आध्यात्मिक स्तर पर पहुँच चुके साधक के लिए बेकार है। जहाँ साधक का हृदय शिवमय या गुरुमय हुआ, ज्योतिष की भविष्यवाणी उस पर कार्य नहीं करती। धर्म सत्ता के क्षेत्र में प्रविष्ट जातक पर सामान्य पशु रूपी मनुष्यों के लिए बने नियम स्थूल पड़ जाते हैं। यही ब्रह्म विद्या रहस्यम है। सर्प डस भी सकता है तो वहीं फण फैलाकर छाँव भी दे सकता है। महावीर के अंगूठे में सर्प ने डसा तो दुग्ध की धारा फूट पड़ी । काल सर्प योग है तो सर्प पूजन भी है।

              नागयोनि महर्षि कश्यप से उत्पन्न है एवं इतिहास साक्षी है कि देव-दानव संग्रामों में नागों ने सदा देवताओं का साथ दिया है। भगवान शिव एवं भगवति आद्या के साथ-साथ गणपति, भैरव इत्यादि सदा नागों को आभूषणों के रूप में धारण किये हुए हैं, शिवाभूषण हैं नाग, नागेन्द्र कुण्डल, नागेन्द्र हार, नागेन्द्र चर्म, नाग यज्ञोपवीत, नाग चूड़ामणि से भूषित हैं आद्य एवं आद्या । महाकाली के कोमलांगों को भी नागों ने आवेष्टित कर रखा है, उनके दिव्य स्तन मण्डल, , जानु, शिखा इत्यादि पर नाना प्रकार के नागराज प्रेम पूर्वक आरुढ़ हैं। नाग वाहन हैं गणपति का, देवियों का। भगवान विष्णु शेष शैय्या पर विराजमान हैं, अमृत कलश की सुरक्षा कर रहे हैं नागराज, अमृत मंथन में रज्जू बने हुए हैं नागराज, शिव के साथ विष का आचमन कर रहे हैं नागराज, छलके हुए अमृत का पान कर रहे हैं नागराज । मणि धारण कर रखी है नागराज ने। 

             नागपाश से बंधे हुए हैं राम लक्ष्मण एवं हनुमान। वे भी नाग पाश की अवमानना नहीं करते। नागों का विष भी अमृतदायी है। कैंसर, कोढ़, एड्स, मिर्गी, स्नायु दुर्बलता, लकवा जैसी लाइलाज बीमारियों में, जीवन की रक्षा हेतु, जीवन रक्षक औषधियों में, नाना प्रकार के विषों से रक्षा हेतु, विष रक्षक औषधि में नाग का विष ही सूक्ष्मांश में उपयोग किया जाता है। किसानों के लिए तो नाग देवता वरदान हैं। मूषक अन्न के भण्डारों को नष्ट कर दें अगर नागराज न हो तो । मूषक योनि को नियंत्रित करते हैं नागराज । नागों के बिल धरती को उर्वरकता प्रदान करते हैं कीट-पतंगों, टिड्डियों से रक्षा करते हैं नागराज । औषधि विज्ञान की प्रत्येक शाखा में नाग के विष को अति महत्वपूर्ण औषधि के रूप में मान्यता प्राप्त है। अब तो वैज्ञानिक भी मानते हैं कि एक सर्पाकार नागाकृति अति सूक्ष्म गुरुत्व बल पृथ्वी को अपनी धूरी पर स्थिर रखे हुए हैं। पुराणों ने स्पष्ट कहा है कि पृथ्वी को शेषनाग ने अपने मस्तक पर धारण कर रखा है। नाग पंचमी का दिन ब्रह्मा ने इसलिए घोषित किया नाग ने पूजा हेतु क्योंकि शेषनाग ने पृथ्वी का भार उठा रखा है अपने मस्तक पर। देव शक्तियों से संस्पर्शित है नाग कुल । 

              नागराज वासुकी के फण पर स्वास्तिक का चिह्न स्पष्ट दिखता है, तक्षक कुल के नागों के कंठ में तीन रेखाएं होती हैं अर्थात त्रिपुण्ड होता है, पद्मकुल के नागों की आँखें माँ भगवती के पद्म नेत्रों के समान होती हैं, शंखपाल कुल के नागों के फण पर शंख का निशान होता है, कुलीक कुल के नागों के फण पर अर्ध चंद्र की आकृति होती है, अर्जुन कुल के नागों के फण पर धनुष का निशान होता है, कालिया दह कुल के नागों के फण पर भगवान कृष्ण के नन्हें पद चिन्ह बने होते हैं। शेषनाग कुल के नागों के फण पर श्रीवत्स का निशान होता है। नाग पूजन सार्वभौमिक है जापान के लोग स्वयं को नाग वंशीय कहते हैं, चीन में भी नागोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है एवं नागवंशीय राजाओं ने वहाँ पर कई पीढ़ियों तक राज्य किया। भारतवर्ष में नागों को देवता माना जाता है एवं उनकी उपासना, पूजन, संरक्षण से नाना प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है। नाग वध सम्पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति में निषिद्ध है । मिश्र के पिरामिडों में प्राप्त चित्रों में वहाँ के राजा नाग युक्त मुकुट धारण करते रहे हैं। मिश्र की महारानी क्लियोपाट्रा स्वयं को नाग कन्या कहती थीं। उसने अपने जीवन का अंत सर्प दंश से ही करवाया। उसके समस्त आभूषणों पर नाग अंकित होते थे। जीवन की शुरुआत सरिसर्प प्राणियों से ही हुई। मनुष्य की अनुवांशिक संरचना सर्पों के समान सर्पीली है। नाग परम चैतन्यता, ऊर्ध्व गति का प्रतीक है। कुण्डलिनी शक्ति का स्वरूप सर्पाकार ही है, परम गोपनीय रस विद्या जिसमें कि पारद को स्वर्ण में परिवर्तित किया जाता है वह नाग विद्या के गोपनीय रहस्यों के द्वारा ही सम्भव है।
                           शिव शासनत: शिव शासनत:

Nag tantram
             Astrology is a branch of spirituality but it is generally useless for a seeker who has reached a spiritual level. Where the heart of the seeker became Shivamaya or Gurumay, the predictions of astrology do not work on him. The rules made for human beings in the form of ordinary animals become gross on the person entering the field of religious authority. This is Brahma Vidya Rahasam. If a snake can bite, it can also spread its hood and give shade. When a snake bit Mahavira's thumb, a stream of milk broke out. If there is Kaal Sarp Yoga, then there is also snake worship.

               Nagyoni is born from Maharishi Kashyap and history is witness that the serpents have always supported the gods in the battles of gods and demons. Along with Lord Shiva and Bhagwati Aadya, Ganapati, Bhairav ​​etc. are always wearing serpents in the form of ornaments, Shivabhushan is Nag, Nagendra Kundal, Nagendra necklace, Nagendra skin, Nag Yagyopveet, Nag are adorned with Chudamani, Aadya and Aadya. The Komalangas of Mahakali have also been possessed by the serpents, and on their divine, Janu, Shikha, etc., various types of Nagraj are lovingly mounted. The serpent is the vehicle of Ganapati, of the goddesses. Lord Vishnu is seated on the rest of the bed, Nagraj is protecting the nectar urn, Nagraj remains in the churning of nectar, Nagraj is inhaling poison with Shiva, Nagraj is drinking the spilled nectar. Nagraj is wearing a gem.

              Rama, Lakshmana and Hanuman are bound by the Nagpasha. They also do not contempt Nag Pash. The poison of serpents is also nectar. In incurable diseases like cancer, leprosy, AIDS, epilepsy, nervous debility, paralysis, for the protection of life, in life saving medicines, for protection from various types of poisons, in poison protection medicine, the venom of snake is used in the subtle part. Snake gods are a boon for the farmers. The rodents should destroy the food stores, if there is no Nagraj. Nagraj controls the mouse vagina. The burrows of snakes provide fertility to the earth, Nagraj protects it from insects, moths, locusts. Snake venom is recognized as a very important medicine in every branch of medicine. Now even the scientists believe that a serpentine serpentine, very subtle gravitational force is keeping the earth fixed on its axis. The Puranas have clearly said that Sheshnag has kept the earth on his head. Brahma declared the day of Nag Panchami because the snake worshiped because Sheshnag has carried the weight of the earth on his head. The snake clan is in contact with the divine powers.

               The sign of the swastika is clearly visible on the hood of Nagraj Vasuki, there are three lines in the throat of the snakes of Takshak clan, that is, there is a tripund, the eyes of the serpents of Padmakul are like the Padma eyes of Mother Bhagwati, on the hood of the snakes of the Shankhpal clan. There is a mark of a conch, on the hood of the serpents of the Kulik clan there is a crescent moon, on the hood of the serpents of the Arjuna clan, there is a mark of a bow, on the hood of the serpents of Kaliya Dah clan, small footprints of Lord Krishna are made. . There is a mark of Shrivatsa on the hood of the serpents of Sheshnag clan. Snake worship is universal, the people of Japan call themselves the Naga dynasty, in China also the Naga festival is celebrated with pomp and the Naga dynasty kings ruled there for many generations. In India, serpents are considered as deities and by their worship, worship, protection, various types of problems are solved. Snake slaughter is completely prohibited in Indian culture. In the pictures found in the pyramids of Egypt, the kings there have been wearing a crown containing serpents. Empress Cleopatra of Egypt called herself Nag Kanya. He ended his life with a snake bite. Snakes were inscribed on all his ornaments. Life started with snakes only. The genetic structure of humans is similar to that of snakes.

Nag tantram

           There is a mark of Shrivatsa on the hood of the serpents of Sheshnag clan. Snake worship is universal, the people of Japan call themselves the Naga dynasty, in China also the Naga festival is celebrated with pomp and the Naga dynasty kings ruled there for many generations. In India, serpents are considered as deities and by their worship, worship, protection, various types of problems are solved. Snake slaughter is completely prohibited in Indian culture. In the pictures found in the pyramids of Egypt, the kings there have been wearing a crown containing serpents. Empress Cleopatra of Egypt called herself Nag Kanya. He ended his life with a snake bite. Snakes were inscribed on all his ornaments. Life started with snakes only. The genetic structure of humans is similar to that of snakes.The serpent is a symbol of supreme consciousness, upward movement. The nature of Kundalini Shakti is snake-like, the supreme secret of Rasa Vidya, in which the mercury is converted into gold, that is possible only through the secret secrets of Naga Vidya.

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