शनिदेव मानव शरीर के किस स्थान पर निवास करते हैं?
शनिदेव मानव शरीर में उदर स्थान पर निवास करते हैं एवं यहीं पर राहु केतु के साथ मिलकर क्रियाशील होते हैं। शनी स्नायु मंडल के स्वामी हैं।
शनि देव के अधिदेवता एवं प्रत्याधि देवता कौन-कौन हैं?
शनिदेव के अभी देवता यम एवं प्रत्यादी देवता प्रजापति हैं।
शनि का वाहन क्या है?
मुख्य रूप से शनि का वाहन गीद्ध एवं लोहे से बना रथ है परंतु यह काले कुत्ते के ऊपर भी आरुढ़ होते हैं।
शनि देव के अस्त्र-शस्त्र क्या है?
शनि देव मुख्य रूप से गदा, धनुष, बाण एवं त्रिशूल धारण करते हैं। इनका एक हाथ वर मुद्रा में भी होता है इनके शरीर से नीली किरणें उत्सर्जित होती रहती है।
शनि देव एक राशि में कितने समय रुकते हैं।
शनि देव एक एक राशि में 30-30 माह रहते हैं। और 30 वर्ष मैं ही सब राशियों को पार कर जाते हैं। यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं।
किन राशियों में उच्च और नीच के होते हैं?
तुला राशि में यह उच्च के होते हैं एवं मेष राशि में नीच स्थान के होते हैं।
शनी की धातु क्या है?
शनि ग्रह की धातु लोहा अनाजों में चना और दालों में उड़द की दाल है। लौह तत्व की कमी से मनुष्य का चलना फिरना भी असंभव हो जाता है। शनि के प्रभाव के कारण शरीर में लौह तत्व की अचानक कमी हो जाती है एवं औषधि खाने पर भी लौह तत्व की कमी पूरी नहीं होती है।
शनि गायत्री मंत्र क्या है?
शनि गायत्री मंत्र "ॐ कृष्णांगाय विद्ममहे रविपुत्राय धीमहि तन्न: शौरि: प्रचोदयात्" हैं।
शनी कितने चरणों में प्रभाव डालते हैं?
शनी अपना प्रभाव तीन चरणों में दिखाते हैं जो साढे सात सप्ताह से साढे वर्ष तक के समय के लिए होता है पहले चरण में जातक का अपना संतुलन बिगड़ जाता है और वह अपने निश्चय विचार से इधर उधर भटक जाता है। अर्थात उसके हर कार्य में उसके विचारों में स्थिरता का अभाव होने लगता है और वह बेकार की परेशानियों से गिरने लगता है। दूसरे चरण में उसे कुछ मानसिक तथा शारीरिक रोग भी घेरने लगते हैं एवं उसका कष्ट भी और भी बढ़ जाता है। तीसरे तथा अंतिम चरण तक पहुंचते जातक का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और उसमें क्रोध की मात्रा और अधिक हो जाती है इस समय कोई और ग्रह भी प्रताड़ित कर रहा हो तो जातक के दुखों में और बढ़ोतरी हो जाती है।
ब्रह्मांड में शनि किस जगह स्थित है?
बृहस्पति से दो लाख तथा सूर्य से 14 लाख योजन ऊपर शनि ग्रह मंडल स्थित है।यह वहां से काले एवं नीले रंग की किरणें प्रक्षेपित करते हैं। इनके ऊपर 11 लाख योजन के ऊपर दूरी पर सप्त ऋषि मंडल स्थापित है यहां पर शनि का प्रभाव शुन्य है। सप्त ऋषि मंडल भगवान विष्णु के परम धाम ध्रुव लोक की परिक्रमा करता है शनि ग्रह पश्चिम दिशा में स्थित माने जाते हैं।
शनी के अन्य ग्रहों से कैसे संबंध है?
केतु एवं गुरु से इनकी मित्रता है चंद्रमा से समता बुध से प्रेम एवं मंगल और सूर्य से घोर शत्रुता है। अश्विनी, मधा, मूल, विशाखा, पुनर्वसु नक्षत्रों में यह शुभ फल प्रदान करते हैं एवं पुष्य अनुराधा मृगशिरा चित्रा घनिष्ठा तथा भरनी नक्षत्रों में अशुभ फल देते हैं।
एक बार में बताएं कि शनी को कैसे अनुकूल करें?
उच्च कोटि के तीन सात मुखी वृहद आकार के रुद्राक्ष फल चांदी में बनवाकर धारण कर ले। इसे शनि कवच कहते हैं इस प्रकार आप दुर्लभ शनि कवच से सुरक्षित होंगे।
ब्रह्मांड में सबसे कम घनत्व का ग्रह कौन सा है?
शनि ग्रह आकार में तो बहुत बड़ा है परंतु सबसे हल्का ग्रह शनि ग्रह ही है वास्तव में यह विभिन्न ब्रह्मांड गैसों मुख्य रूप से हिलियम और हाइड्रोजन की एक घनीभूत संरचना है इनके चारों तरफ हिम रूप में छोटे छोटे ग्रह नुमा पिंड परिक्रमा करते रहते हैं।
हमारी पृथ्वी की तुलना में शनि कितने वृहद हैं?
शनि ग्रह दूसरे सबसे बड़े ग्रह हैं हमारे ग्रह मंडल में यह पृथ्वी से 750 गुना ज्यादा बड़े हैं एवं इनके अभी तक 17 चंद्रमा ढूंढ निकाले गए हैं कुछ और भी हो सकते हैं।
शनि ग्रह पर कितने घंटे की रात होती है?
प्रत्येक ग्रह का अपना कालचक्र है पृथ्वी के साढे 29 साल शनि ग्रह के 1 वर्ष के बराबर है। सामान्यतः इस ग्रह पर 10 घंटे 14 मिनट का एक दिन होता है।
क्या शनी जीवित जागृत ग्रह हैं?
ब्रह्मांड का प्रत्येक ग्रह जीवन शक्ति से पूर्ण है। प्रत्येक ग्रह पर उसकी संरचना अनुसार जीवन किसी ना किसी विलक्षण रूप में उपस्थित है। हमारी पृथ्वी पर पंचेेंद्रीय जीवन वृहद जीवन संरचना में मात्र राई के बराबर है। शनी क्रियाशील है आंधी तूफान वर्षा सब कुछ यहां पर होता है।
शनि देव के परिवार का परिचय दीजिए?
शनि देव सूर्य पुत्र हैं। इनकी माता का नाम छाया देवी है। इनका गोत्र कश्यप है। इनके भाई का नाम यम है बहन यमुना है पुत्र मंदी, खर, सुप्त, कुंद, वृद्ध, क्षय, विकृति, चौर्य इत्यादि है इन्हें नमकीन चीजें अत्यधिक प्रिय है।
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