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दत्तात्रेय ।।

दत्तात्रेय का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत है । साधु समाज में प्रसिद्ध है कि वे सह्याद्रि की तराई में रेणुकापुर में या मातापुर नामक स्थान में प्रतिदिन विश्राम करते हैं । सह्याद्रि के शिखर पर उनका निवास स्थान है । यह उनका पीठ स्थान है ।भगवान काशीक्षेत्र में प्रतिदिन गङ्गा स्नान करने आते हैं । कुल्हाड क्षेत्र में अर्घ्य दान और प्रातः संध्या करते हैं ।
महालक्ष्मी का पीठस्थान कोल्हापुर या दक्षिण काशी में वे भिक्षा ग्रहण करते हैं और पांचालपुर में उस भिक्षाअन्न का भोजन करते हैं । विट्ठल पुर में यानी चंद्रभागा के किनारे बसे पंढरपुर में (जिला सोलापुर )में ये तिलक धारण करते हैं । भीमा और अमरजा नदी के संगम स्थल गाणगापुर में योग साधना करते हैं । कुरुक्षेत्र के स्यमन्तक तीर्थ में आचमन करते हैं । इस तरह यद्यपि भगवान दत्तात्रेय प्रतिदिन लीला के व्याज से भिन्न भिन्न स्थानों में संचार करते रहते हैं , फिर भी उनका स्मरण करने वाले भक्तों के लिए वे अत्यंत निकट हैं । इससे मालूम पड़ता है कि प्रतिदिन सूर्योदय से दूसरे दिन सूर्योदय तक किसी न किसी कर्म के बहाने से सम्पूर्ण भारत की परिक्रमा करते रहते हैं । इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है ,कारण सिद्ध देह में देश और काल का व्यवधान गति का बाधक नहीं होता ।

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