रवि प्रदोष - यदि प्रदोष रविवार के दिन हो तो इसका व्रत मनुष्यों के लिये श्रेष्ठ है जो मनुष्य श्रद्धाभक्ति पूर्वक रवि प्रदोष का व्रत करता है तथा सायंकाल भगवान शिव की पूजा करता है उसकी समस्त कामना पूर्ण हो जाती है और वह सदा ही तेज से युक्त रहता है।
सोम प्रदोष - सोम प्रदोष और भी अधिक फल देने वाला है सोम प्रदोष को जो भी मनुष्य सायंकाल भगवान शिव की पूजा-अर्चना, जाप आदि करता है वह इस पृथ्वी पर सुखों का भोग करते हुये अंत में शिव स्वरूप को प्राप्त होता है।
मंगल प्रदोष - भौम प्रदोष भी उत्तम फलदायक है। भौम प्रदोष का व्रत करने तथा संध्या के समय भगवान शिव का पूजन करने मात्र से मनुष्य सदा रोगों से मुक्त रहता है साथ ही उसका इस पृथ्वी पर कोई शत्रु नहीं होता और स्त्री, संतान, धन, यश से सदा पूर्ण रहता हैं।
बुध प्रदोष - यदि कभी सौभाग्यवश बुध प्रदोष करने का अवसर मिले तो मनुष्य को चाहिये कि सायंकाल में भगवान शिव की पूजा करें तो उसके गृहगोचर सदा शांत रहते हैं और यश, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है ।
गुरु प्रदोष - गुरु प्रदोष तो स्वयं ही सिद्धि को प्रदान करने वाला होता है। गुरु प्रदोष में जो सायंकाल श्रद्धा भक्ति पूर्वक भगवान शिव की पूजा करता है उसे अष्ट सिद्धियों में से बहुत सी सिद्धियाँ शीघ्र ही प्राप्त हो जाती है साथ ही वह इस पृथ्वी पर सदैव गुरु के समान पूज्यनीय रहता है ।
शुक्र प्रदोष - शुक्र प्रदोष मनुष्य के लिये राशि के अनुसार फल को प्रदान करने वाला है। शुक्र प्रदोष में सायंकाल भगवान शिव का पूजन करने से मनुष्य को उसकी राशि के अनुसार शुभ फल की प्राप्ति होती है।
शनि प्रदोष - शनि प्रदोष को अन्य सभी प्रदोषों से श्रेष्ठ माना गया है। शनि प्रदोष को सायंकाल भगवान शिव का पूजन करने से मनुष्य को शीघ्र ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है तथा उसे कभी भी शनि महाराज का भय नहीं रहता ।
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