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भगवान शिवस्वरूप आदि शंकराचार्य के द्वारा स्थापित चारमठ और दशनाम संन्यासी।।

सनातनधर्मोध्दारक ,चतुष्पीठ संस्थापक जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य भगवत्पाद 

श्रीमदाद्यशंकराचार्य
 जन्म: ईसापूर्व ५०७कालूडी में     
कैलासगमन :ई.पू.४७५केदारनाथ में                    
मातृश्री:आर्याम्बा                      
पिताश्री:शिवगुरू                      
दीक्षा गुरू:श्री गोविन्दभगवत्पाद                

१:-पीठ :- श्री द्वारका शारदापीठम् , द्वारका 
देवता:-सिध्देश्वर 
देवी:-भद्रकाली 
तिर्थ:-गोमती 
वेद :- सामवेद
महावाक्य:तत्वमसि
प्रथमाचार्य:सुरेश्वराचार्य ,
संन्यासी:-तीर्थ,आश्रम
ब्रह्मचारी:स्वरूप
वर्तमानआचार्य:
स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज 

२:-पीठ:- गोवर्धनपीठ , पुरी
देवता:-जगन्नाथ
देवी:- विमला 
तीर्थ:-महोदधि
वेद :-ॠग्वेद 
महावाक्य:- प्रज्ञानंब्रह्म 
प्रथमाचार्य:-पद्मपादाचार्य
ब्रह्मचारी:-प्रकाश,
संन्यासी:-वन ,अरण्य
वर्तमान आचार्य:-
स्वामी श्री निश्चलानन्दसरस्वती जी महाराज ।

३:-पीठ:- उत्तराम्नाय ज्योतिर्मठ ( ज्योतिष्पीठ) , बदरिकाश्रम
देवता:- नारायण
देवी:- पूर्णागिरि
तीर्थ:-अलकनंदा
वेद:- अथर्ववेद
महावाक्य:- अयमात्माब्रह्म
प्रथमाचार्य:-त्रोटकाचार्य
ब्रह्मचारी:-आनन्द
संन्यासी:-गिरि,पर्वत,सागर, 
वर्तमानआचार्य:-अभी विवादित है श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी व श्री स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी ।

४:- पीठ:- श्रंगेरीशारदापीठ
देवता:- आदिवाराह
देवी:- कामाक्क्षी
तीर्थ:-रामेश्वरम
वेद:- यजुर्वेद
महावाक्य:-अहं ब्रह्मास्मि
प्रथमाचार्य:- हस्तामलकाचार्य
ब्रह्मचारी:- चैतन्य, 
संन्यासी:-सरस्वती,भारती,पुरी 
वर्तमानआचार्य:-
स्वामी श्री भारती तीर्थ जी महाराज

यही चार सर्वमान्य शंकराचार्य पीठ एवं उनके वर्तमान आचार्य ( शंकराचार्य ) है।
यही हमारे सनातन वैदिक धर्म के सर्वमान्य प्रमुख धर्माचार्य हैं।

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