1. भुवनपावनी शक्तिः
नाम कमाई वाले संत जहाँ जाते हैं, जहाँ रहते हैं, यह भुवनपावनी शक्ति उस जगह को तीर्थ बना देती है।
2. सर्वव्याधिनाशिनी शक्तिः
सभी रोगों को मिटाने की शक्ति।
3. सर्वदुःखहारिणी शक्तिः
सभी दुःखों के प्रभाव को क्षीण करने की शक्ति।
4. कलिकालभुजंगभयनाशिनी शक्तिः
कलियुग के दोषों को हरने की शक्ति।
5. नरकोद्धानरिणी शक्तिः
नारकीय दुःखों या नारकीय योनियों का अंत करने वाली शक्ति।
6. प्रारब्ध-विनाशिनी शक्तिः
भाग्य के कुअंकों को मिटाने की शक्ति।
7. सर्व अपराध भंजनी शक्तिः
सारे अपराधों के दुष्फल का नाश करने की शक्ति।
8. कर्म संपूर्तिकारिणी शक्तिः
कर्मों को सम्पन्न करने की शक्ति।
9. सर्ववेददीर्थादिक फलदायिनी शक्तिः
सभी वेदों के पाठ व तीर्थयात्राओं का फल देने की शक्ति।
10. सर्व अर्थदायिनी शक्तिः
सभी शास्त्रों, विषयों का अर्थ व रहस्य प्रकट कर देने की शक्ति।
11. जगत आनंददायिनी शक्तिः
जगत को आनंदित करने की शक्ति।
12. अगति गतिदायिनी शक्तिः
दुर्गति से बचाकर सदगति कराने की शक्ति।
13. मुक्तिप्रदायिनी शक्तिः इच्छित मुक्ति प्रदान करने की शक्ति।
14. वैकुंठ लोकदायिनी शक्तिः
भगवद धाम प्राप्त कराने की शक्ति।
15. भगवत्प्रीतिदायिनी शक्तिः
भगवान की प्रीति प्रदान करने की शक्ति।
भगवन्नाम कामधेनु के समान है
काम्यानां कामधेनुर्वै कल्पिते कल्पपादप: I
चिंतामणिश्चिन्तस्य सर्वमंगल कारक: II
अर्थात् भगवन्नाम कामधेनु के समान है
क्योंकि यह समस्त कामनाओ की पूर्ति करने में समर्थ है।
यह कल्पवृक्ष के समान है, जो भी मन में इच्छा की जाए वह भगवन्नाम के प्रभाव से अपने आप पूर्ण हो जाती है।
यह मणि के समान है जिससे सब प्रकार की चिंता समाप्त होती है। इस प्रकार यह भगवन्नाम सर्वमंगलदायक है। जिसके जप मात्र से ही ताप, दुःख, भय, दैन्य, रोग आदि अपने आप समाप्त हो जाते है।
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