यह बात बुद्धिगम्य कर लेनी चाहिए कि अग्नि में डाला हुआ पदार्थ नष्ट नहीं होता ।
अग्नि का काम स्थूल पदार्थ को सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर देना है ।
यज्ञ करते हुए अग्नि में घी डालते हैं, वह नष्ट नहीं होता, स्थूल घी, घी के सूक्ष्म परमाणुओं में बदल जाता है ,
जो घी एक कटोरी में था,
परमाणुओं के रूप में वह सारे वातावरण में फैल जाता है ।
सामग्री गुग्गल, जायफल, जावित्री, मुनक्का आदि जो कुछ डाला गया था,
वह परमाणुओं में टूटकर सारे वायुमण्डल में व्याप्त हो जाती है ।
किसी बात का पता चलता है, किसी का नहीं ।
उदाहरण के लिए स्थूल (साबुत) मिर्च को आप जेब में डाल कर घुमते रहें,
किसी को कुछ पता नहीं चलेगा,
उसी को हमाम दस्ते में कूटें तो उसकी धमक से छीकें आने लगेंगी,
उसी को आग में डाल दें तो सारे घर के लोग दूर-दूर बैठे हुए भी परेशान हो जाएँगे ।
क्यों परेशान हो जाएँगे ?
क्योंकि आग का काम स्थूल वस्तु को तोड कर सूक्ष्म कर देना है और वस्तु सूक्ष्म हो कर परिमित स्थान में कैद न रह कर दूर-दूर फैल जाती है और असर करती है।
मनु महाराज ने ठीक कहा है आग में डालने से हवि सूक्ष्म हो कर सूर्य तक फैल जाती है
"अग्नौ हुतं हविः सम्यक् आदित्यम् उपतिष्ठति ।"
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