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शिष्य को गुरु से कभी डरना नहीं चाहिए ।।

 वे बिल्कुल प्रेम की मूर्ति हैं। उनसे ऐसे मिलो जैसे हमारा छोटा बच्चा छल कपट से रहित हमारे सीने से लग जाता है। वह आपकी सूरत और सीरत नहीं देखता , बस वह जानता है कि आप उसको प्रेम करते हो।

इसी तरह गुरुदेव है । जब हम निश्चल होकर उनसे प्रेम करते है तो वे दौड़ कर अपने भक्तों के वश में प्रेम वश बंध जाते है और अथाह प्रेम करते है। निश्छल प्रेम करते है। सांसारिक जगत में अपनों से निश्चल प्रेम की संभावना रखना अपने मनोबल को गिराना है। क्योंकि संसार में हर एक रिश्ता किसी ना किसी स्वार्थ पूर्ति हेतु एक दूसरे से बंधा है।

कई बार लोग कहते है - हम तो बीमार हो गये, हमारे ये काम बिगड़ गये, गुरुदेव चाहते ही नहीं कि हम उनकी पूजा करें। लेकिन हमारा यह सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि सदगुरु किसी को कष्ट नहीं देते। वे तो सिर्फ देना जानते हैं , प्यार में लुट जाते है गुरुदेव।

हमारी बीमारी का कारण हमारी पूजा से संबंधित नहीं होती। क्योंकि इस ब्रह्मांड में अनगिनत नाकारात्मक शक्तियां हैं। जो हमारे शरीर में हमारे घरों में हमेशा रहती है। हमें मालूम नहीं होता। हमारे घरों में जहां भी गंदगी रहती है। वही उनका वास होता है। हमारे शरीर में भी खानपान के माध्यम से, विचारों के माध्यम से नकारात्मकता प्रवेश कर जाती है।
हमें ज्ञात नहीं होता। क्योंकि ये सब सूक्ष्म जगत की माया है‌। जब हम पूजा पर बैठते हैं तब ये नाकारात्मक शक्तियां और अधिक परेशान करती है। क्योंकि इन नाकारात्मक शक्तियों को भली-भांति ज्ञात होता है कि यदि ये व्यक्ति पूजा पाठ करेगा, तो इसके गुरुदेव, माता रानी या आपके जो भी इष्टदेव हैं- वे नाकारात्मक शक्ति को आपके भीतर से निकाल कर बाहर फेंक देंगे। इसी कारण नकारात्मक शक्तियां अनेक प्रकार से विघ्न डालती हैं। 

इन से बचा कैसे जाये ? इन से बचने का उपाय है- हमेशा पूजा में शुद्धता वरते, अपने घर के मंदिर की व्यवस्था साफ-सुथरी रखें। हमेशा शुद्ध आसन कंबल का इस्तेमाल करें या कुश के आसन का। आसन जितना मोटा हो उतना ही अच्छा। पूजा शुरू करें तब एक कपूर पर दो लौंग रख कर अवश्य जलाएं, इससे नकारात्मकता से बचा जा सकता है। एक लोटा जल अवश्य रखें। चंदन , तिलक अवश्य लगाएं। पूजा संपूर्ण होने पर लोटे में से थोड़ा जल आसन के नीचे गिराकर आंखों पर लगाए। इससे पूजा या मंत्र- जप का पूरा फल आपको प्राप्त होगा। नकारात्मक शक्तियाँ आपकी पूजा या मंत्र- जप को चुराकर नहीं ले जा पायेंगी ।

सूक्ष्म जगत बहुत रहस्यमई है। जिसमें नकारात्मकता और सकारात्मकता दोनों शक्तियां मौजूद है- जैसे अच्छाई और बुराई, अंधेरा और उजाला।
गुरु किसी का अहित नहीं करते। प्रेम पूर्वक, निडर होकर विश्वास के साथ हमेशा उनकी पूजा-अर्चना करें। आशा है, इस उपाय के साथ आप सभी लाभांवित होंगे।

 

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