रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है.
शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, बुरा प्रभाव होता है.
शिव जी का निवास तभी देखें जब मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक करना हो.
शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है?
महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं. महादेव कभी माँ गौरी के साथ होते हैं तो कभी-कभी कैलाश पर विराजते हैं. रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो…
हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मांँ गौरी के साथ रहते हैं.
हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मांँ गौरी के साथ रहते हैं.
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं.
शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं.
कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिव जी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं.
शुक्ल पक्ष की षष्ठी और तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं.
रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है.
शिव जी का निवास कब “”””अनिष्टकारी””” होता है?
शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है…
कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव””” श्मशान “””में समाधि में रहते हैं.
शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को भी शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.
कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं.
शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं.
कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं.
शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं.
कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्र भोजन करते हैं.
शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्र भोजन करते हैं.
इन तिथियों में मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक नहीं किया जा सकता है.
कब तिथियों का विचार नहीं किया जाता?
शिवरात्री, प्रदोष और सावन के सोमवार को शिव के निवास पर विचार नहीं करते.
सिद्ध पीठ या ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में भी शिव के निवास पर विचार नहीं करते.
हर हर महादेव.
शिव शासनत: शिव शासनत:
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