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श्रीकृष्ण पूजन ।।

       साधक को चाहिए कि वह स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थल में स्वच्छ आसन पर उत्तर या पूर्व की ओर मुँह करके बैठ जाये। पूजन के लिए आवश्यक समस्त सामग्री यथा कुंकुम, अक्षत, मौली, जल, पुष्प, दूध, दही, घृत, वस्त्र, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अपने पास रख लें ताकि पूजन के मध्य बार-बार न उठना पड़े। अपने सम्मुख किसी चौकी में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर लें। धूप दीप आदि जला लें ताकि वातावरण शुद्ध हो जाये।

पवित्रीकरण
      सर्वप्रथम अपने बायें हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर छिड़कें तथा निम्न मंत्र का उच्चारण करें- 

ॐ अपवित्रः पवित्रो व सर्वावस्थां गतोऽपि वा। 
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥

आचमन
          पवित्रीकरण के पश्चात आचमनी में जल लेकर क्रमश: निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुये तीन बार जल पियें। 

ॐ केशवाय नमः । 
ॐ माधवाय नमः । 
ॐ गोविन्दाय नमः । 

आचमन के उपरांत हस्त प्रक्षालन (हाथ धोना) कर लें।

गणपति स्मरण
     
निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुये दोनों हाथ जोड़कर पूर्ण श्रद्धाभाव से भगवान गणपति का स्मरण करें साथ हो अन्य देवी देवताओं का भी स्मरण करें

ॐ लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः।
ॐ उमा महेश्वराभ्यां नमः । 
ॐ वाणी हिरण्य गर्भाभ्यां नमः ।
ॐ शचीपुरंदराभ्यां नमः।
ॐ मातृ पितृ चरणकमलेभ्यो नमः।
ॐ ग्राम देवताभ्यां नमः।
ॐ स्थान देवताभ्यो नमः।
ॐ कुल देवताभ्यो नमः।
ॐ सर्वेभ्यो देवताभ्यो नमः।
ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः । 
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः । 
लम्बोदरश्च विकटो विघ्न नाशो विनायकः ॥ धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः । 
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणयादपि ॥
 विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा । संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते ॥

संकल्प
      
कुंकुम, अक्षत मिश्रित जल दाहिने हाथ में लेकर निम्न मंत्रोच्चार करते हुये संकल्प लें

ॐ विष्णु विष्णु र्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य ब्राह्मणोऽहि द्वितीय परार्धे श्वेत वाराह कल्पे जम्बू द्वीपे भरत खण्डे आर्यावर्तेक देशान्तर्गते पुण्य क्षेत्रे, कलियुगे कलि प्रथम चरणे अमुक मासे ( महीने का नाम लें) अमुक पक्षे ( पक्ष बोलें ) अमुक तिथौ (तिथि बोलें) अमुक व ( दिन का नाम लें) अमुक गोत्रोत्पन्न: (अपना गोत्र बोलें ) अमुक (नाम बोलें) शर्माऽहं भगवतो महापुरुषस्य कृष्णस्य विशिष्ट पूजनं अहं करिष्ये। उपरोक्त संकल्प मंत्र पूर्ण होने पर जल को भूमि पर छोड़ दें।

दीप पूजन
दीपक पर कुंकुम अक्षत चढ़ायें, निम्न मंत्र का उच्चारण करें

भो दीप देवरूपस्त्वं कर्मसाक्षि हविघ्रकृतः यावत् कर्म समाप्तिः स्यात तावदत्र स्थिरो भव। (ॐ दीपदेवतायै नमः)

कलश पूजन

        अपने सम्मुख भगवान श्रीकृष्ण के आसन की दाहिनी ओर कलश स्थापित करें और क्रमशः निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुये चारों दिशाओं में कलश पर कुंकुम से तिलक करें 

पूर्वे ऋग्वेदाय नमः । 
उत्तरे यजुर्वेदाय नमः ।
पश्चिमे सामवेदाय नमः । 
दक्षिणे अर्थवेदाय नमः । 

अब निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये कलश में जल डालें

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वती, नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु । 
जल डालने के उपरांत "अक्षतानि समर्पयामि" का उच्चारण करते हुये कलश में अक्षत डाल दें तत्पश्चात निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये एक सुपारी अर्पित करें

ॐ या फलिनीर्या अफला अपुष्पायाश्च पुष्पणी, वृहस्पतिः प्रसूतास्तन्नो मुञ्चन्ति ( गूं) हसः।

फिर कलश के ऊपर पंच पल्लव डाल दें तथा उस पर नारियल स्थापित करें (नारियल में मौली बंधी हुयी हो) अब कलश को स्नान कराकर चन्दन, कुंकुम, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पित करें तत्पश्चात दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें

कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः, मूले तत्र स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणः स्थिता । कुक्षौ तु सागराः सर्वे सप्त द्वीपा वसुन्धरा, ऋग्वेदो यजुर्वेदः सामवेदोऽथर्वणः। अंगैश्च सहिता सर्वे कलशं तु समाश्रितः, अत्र गायत्री सावित्री शान्तिः पुष्टिकरस्तथा, आयान्तु यजमानस्थ दुरिक्षय कारकाः । ॐ कलशस्य देवता अपां पतये नमः।

गुरु पूजन
         यद्यपि योगी योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण जगद्गुरु हैं। तथापि यदि साधक ने किसी भी गुरु से दीक्षा या गुरु मंत्र लिया है अथवा नहीं भी लिया तो निम्नानुसार मंत्रोच्चार से ब्रह्माण्ड के सभी गुरुओं का पूजन हो जाता है।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ 
मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरि। 
यत् कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम् ॥
गुरु चित्र पर पुष्प से जल छिड़ककर उसे स्वच्छ वस्त्र से पोंछ दें तत्पश्चात पुष्प, धूप, दीप, अक्षत कुंकुम आदि से गुरु का पूजन करें तथा निम्न मंत्र का मानसिक जप करते हुये अपने गुरु से प्रार्थना करें कि वे पूजन में सूक्ष्म रूप से उपस्थित रहकर पूजन को पूर्णता प्रदान करें-

।।ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः।।

दोनों हाथ जोड़कर पूर्ण श्रद्धाभाव से भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें

बर्हापीडं नटवर वपुः कर्णयोः कर्णिकारं, विभवासा कनक कपिशं वैजयंती च मालां । 
रुधान वेणूरधरसुदया पूरयन गोपवृन्दैः, वृन्दारण्यं स्वपदरमणं प्रविशद् गीतकीर्तिः ॥ (ध्यानं समर्पयामि श्रीकृष्णाय नमः )

आसन
          दोनों हाथ में पुष्प लेकर भगवान श्रीकृष्ण को आसन दें निम्न मंत्र का उच्चारण करें 

ॐ पुरुष एवेदं (गूं) यद्भूतं यच्च भाव्यम् । उतामृतत्वस्येशानो यदन्ने नातिरोहति ॥ ( पुष्पासनं समर्पयामि )
पाद्य--
        आचमनी में जल लेकर भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में दो बार अर्पित करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें

ॐ एतावानस्य महिमातो ज्यायंश्च पुरुषः।
पादोऽस्य विश्व भूतानि त्रिपादस्यामृतन्दित्। (पाद्यं समर्पयामि)
अर्ध्य
         ताम्र पात्र में जल, कुंकुम, चंदन, अक्षत व पुष्प लेकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें 

ताम्रपात्रे स्थितं तोयं गंध पुष्प फलान्वितम् । 
सहिरण्यं ददाम्यर्ध्यं गृहाण परमेश्वर॥ (अर्ध्यं समर्पयामि)

आचमन
          आचमनी में जल लेकर भगवान को अर्पित करें 

सर्व तीर्थ समानीतं सुगन्धिं निर्मलं जलं । 
आचमनार्थं मया दन्तं गृहाण परमेश्वर ॥

स्नान
        पुष्प से जल लेकर भगवान श्रीकृष्ण को स्नान करायें- 

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु॥ ( स्नानं समर्पयामि )

दुग्ध
        भगवान श्री गणेश की प्रतिमा के समक्ष एक पात्र रखकर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए पात्र में दुग्ध अर्पित करें 

कामधेनु समुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम् । 
पावनं यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम् ॥ ( दुग्ध स्नानं समर्पयामि )

दधी
         निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये चित्र के समक्ष रखे पात्र में दही अर्पित करें 

पयसस्तु समुद्भुतं मधुराम्लं शशिप्रभम् । 
दध्यानीतं मयादेव स्नानार्थं प्रतिगृहताम्॥ ( दधि स्नानं समर्पयामि )

घृत 
          निम्र मंत्र का उच्चारण करते हुये भगवान श्रीकृष्ण को घी अर्पित करें 

नवनीत समुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम् ।
 घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥ (घृत स्त्रानं समर्पयामि

मधु 
        निम्र मंत्र का उच्चारण करते हुये भगवान श्रीकृष्ण को शहद (मधु) से स्नान करायें 

तरुपुष्प समुद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु । 
तेज: पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥ ( मधु स्नानं समर्पयामि )

शर्करा स्नान 
        अब भगवान श्रीकृष्ण को शक्कर से स्नान करायें निम्न मंत्र का उच्चारण करें 

इक्षुसार समुद्भूता शर्करा पुष्टिकारिका, मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् । ( शर्करा स्त्रानं समर्पयामि)

शुद्धोदक स्नान
           शर्करा स्नान के पश्चात आचमनी में जल लेकर स्नान हेतु पात्र में अर्पित करें निम्न मंत्र का उच्चारण करें 
कावेरी नर्मदावेणी तुंगभद्रा सरस्वती गंगा च यमुना तोयं मया स्नानार्थमर्पितम् । (शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि )

वस्त्रोपवस्त्र
            भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को स्वच्छ वस्त्र से पोंछकर निम्र मंत्र का उच्चारण करते हुये दो वस्त्र अर्पित करें 

सर्वभूषादिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे, मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यताम् । ( वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि )

तिलक
          निम्र मंत्र का उच्चारण करते हुये चंदन कुंकुम से भगवान श्रीकृष्ण का तिलक करें 

श्रीखण्ड चन्दनं दित्यं गंधाढ्यं सुमनोहरम् । 
विलेपन सुरश्रेष्ठ चन्दनम् प्रतिगृह्यताम् ।

अक्षत
            निम्र मंत्र का उच्चारण करते हुये भगवान श्रीकृष्ण को अक्षत अर्पित करें 

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ता सुशोभिता, मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर । (अक्षतान् समर्पयामि) 

पुष्प
           अब हाथ में नाना प्रकार के पुष्प लेकर निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुये भगवान को पुष्प अर्पित करें

पद्म शंखज पुष्पादि शत पत्रविचित्रताम् ।
पुष्पमालां प्रयच्छामि गृहाण परमेश्वरः॥(पुष्पं समर्पयामि)

तुलसीदल
               
अब तुलसी पत्रों पर चन्दन लगाकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें निम्र मंत्रोच्चार करें 

इदं सचन्दनं तुलसीदलं समर्पयामि नमः।

धूप-दीप
           धूप, दीप जलाकर भगवान श्रीकृष्ण को दिखायें निम्न मंत्र का उच्चारण करें 

वनस्पति रसोद्भूतः गन्धाढ्य सुमनोहरः । 
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोभ्यं प्रतिगृह्यताम् ।। (धूपं दीपं दर्शयामि नमः)

नैवेद्य
         अब नाना प्रकार की मिठाइयाँ भोज्य पदार्थ नैवेद्य के रूप में भगवान को अर्पित करें निम्नानुसार मंत्र का उच्चारण करें 

।।ॐ कृष्णाय वासुदेवाय नैवेद्यं निवेदयामि नमः ॥

आचमन
           नैवेद्य समर्पित करने के पश्चात निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुये आचमनी में जल लेकर पाँच बार अर्पित करें। 

ॐ प्राणाय स्वाहा, ॐ अपानाय स्वाहा, ॐ समानाय स्वाहा, ॐ व्यानाय स्वाहा, ॐ उदानाय स्वाहा ।

फल
          विविध प्रकार के फल भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें। निम्न मंत्र का उच्चारण करें 

इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव । 
तेन मे सफलावाप्तिः भवेजन्मनि जन्मनि॥ (फलं समर्पयामि नमः) तत्पश्चात ताम्बूल (पान का पत्ता) में लौंग इलायची रखकर भगवान को अर्पित करें।

पुष्पांजलि
             दोनों हाथों में पुष्प लेकर निम्न मंत्रोच्चार करते हुये भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करें 

नाना सुगन्ध पुष्पाणि यथा कालोद्भवानि च । पुष्पांजलिर्मया दत्ता गृहाण परमेश्वर ॥

नमस्कार
           निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये दोनों हाथ जोड़कर भगवान को प्रणाम करें 

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
 प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः ॥ 

मंत्र जाप
         निम्र मंत्र का कम से कम 15 मिनिट तक मानसिक जप करें 
।। ॐ कृं कृष्णाय ब्रह्मण्य देवाय नमः ।।

प्रार्थना
            अंत में दोनों हाथ जोड़कर निम्र मंत्र का उच्चारण करते हुये पूर्ण सौभाग्य, समृद्धि एवं सफलता के लिये भगवान से प्रार्थना करें 
नमो ब्रह्मण्य देवाय गोब्राह्मणहिताय च ।
जगद्विताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः ॥

आरती

आरती कुंज विहारी की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।
 गले में वैजन्ती माला, बजावे मुरली मधुर बाला। 
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नन्द के आनन्द नन्दलाला । 
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली। 
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर सी अलक । 
कस्तूरी तिलक चंद्र सी झलक, ललित छबि श्यामा प्यारी की। 
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की, आरती .......
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसै। 
गगनसों सुमन रासि बरसै बजै मुरचंग । 
मधुर मिरदंग ग्वालनी संग, अतुल रति गोप कुमारी की। 
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की, आरती.........
जहाँ ते प्रकट भई गंगा, सकल मल हारिणी श्री गंगा । 
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी सिव सीस, जटा के बीच । 
हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की। 
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की, आरती.........
 चमकती उज्जवल तट रेनु, बज रही वृन्दावन बेनु । 
चहूं दिसि गोपि ग्वाल धेनु, हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद कटत भव फन्द, टेर सुन दीन दुखारी की। 

श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की, आरती...........

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