● दशहरा या विजयादशमी सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार हैं, यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता हैं। पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को इसका आयोजन होता है। अश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय विजय नामक मुहूर्त होता हैं।
दशहरा = दशम + अहर (दसवाँ दिन)
दशहरे के बीसवें दिन दीपावली पर्व मनाया जाता हैं। दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक हैं, अन्य दो है चैत्र शुक्ल और कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा (प्रथम तिथि)।
● दशहरा स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त हैं। यह समय सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। ऐसा विश्वास है इस दिन जो कार्य आरंभ किया जाता है उसमें सफलता मिलती हैं। दशहरा पर अस्त्रों शस्त्रों का पूजन भी किया जाता हैं इसलिए यह आयुध पूजन दिवस भी कहलाता हैं। प्राचीन समय में राजा इस दिन विजय की प्रार्थना कर युद्ध यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। यदि कभी युद्ध आवश्यक हो तो शत्रु के आक्रमण की प्रतीक्षा ना कर उस पर आक्रमण करना ही कुशल राजनीति हैं। छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब के विरुद्ध इसी दिन प्रस्थान करके सनातन धर्म का रक्षण किया था।
● दशहरा पर्व दस प्रकार के पाप
काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।
● दशहरा उत्सव के दौरान प्रदर्शन कला परंपरा, रामलीला को यूनेस्को द्वारा "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" के रूप में अंकित किया हैं। इसमें तुलसीदास रचित रामचरितमानस पर आधारित गीत, कथन, गायन और संवाद सम्मिलित हैं।
● विजयादशमी के दिन हुई दो प्रमुख घटनाएं
1. देवी दुर्गा ने नौ रात और दस दिन के युद्ध के पश्चात महिषासुर (भैंस रूपी असुर, महिष = भैंस) पर विजय प्राप्त की थीं। इस पर्व को माँ भगवती के 'विजया' नाम पर भी विजयादशमी कहते हैं। नवरात्रि पर विशेष तौर पर पूजन के लिए लाई गई देवी माँ की मिट्टी निर्मित मूर्तियों का नवरात्रि समाप्ति पर जल में विसर्जन कर दिया जाता हैं।
2. भगवान राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध होता है जिसमें राम रावण को मारते हैं और दुष्ट शासन को समाप्त करते हैं। रावण के दस सिर थे, दस सिर वाले व्यक्ति की हत्या को दशहरा कहा जाता है। बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतलो को जलाकर यह संदेश दिया जाता हैं बुराई विनाश का कारण बनती है तथा हम मनुष्यों को भी समय रहते हुए भीतर की बुराइयों को समाप्त कर देना चाहिए।
● दशहरा शक्ति पूजा का पर्व
दशहरा दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाए अथवा भगवान राम की विजय के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व हैं। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक हैं, शौर्य की उपासक हैं। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है।
● कुल्लू दशहरा - हिमाचल प्रदेश में कुल्लू दशहरा एक प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय मेगा दशहरा उत्सव है। जिसमें पूरे संसार से कई लाख लोग मेले में आते हैं। यह कुल्लू घाटी में ढालपुर मैदान में मनाया जाता है। कुल्लू में दशहरा उत्सव विजयादशमी के दिन से आरंभ होता है और सात दिनों तक जारी रहता है। इसका इतिहास 17 वीं शताब्दी का है, जब स्थानीय राजा जगत सिंह ने तपस्या के निशान के रूप में रघुनाथ की एक मूर्ति अपने सिंहासन पर स्थापित की थी। इसके पश्चात, भगवान रघुनाथ को घाटी का शासक देवता घोषित किया गया। राज्य सरकार ने कुल्लू दशहरा को अंतर्राष्ट्रीय त्योहार घोषित किया है, जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।
● तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक में नवरात्रि / दशहरा उत्सव नौ दिनों तक चलता हैं जिसमें तीन देवियां लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा की जाती हैं। इन द्रविड़ प्रदेशों में रावण-दहन का आयोजन नहीं किया जाता है।
🚫 दशहरे पर प्रतिबंध
इस्लाम में शिर्क (Shirk in Islam)
शिर्क का अर्थ है महापाप या सबसे बड़ा पाप। इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी अन्य को भगवान मानना और मूर्तिपूजा करना सबसे बड़ा पाप हैं।
इस्लामिक शासकों व आक्रमणकारियों द्वारा दशहरा व अन्य गैर मुस्लिम त्योहारों को इस्लाम विरुद्ध घोषित करके त्योहार मनाने पर रोक और मनाने पर दंड दिया जाता था। औरंगजेब, टीपू सुल्तान आदि ने गैर मुस्लिम त्योहार मनाने पर मृत्यु दंड का विधान (कानून) बनाया था। वर्तमान समय में भी मुस्लिम बहुमत क्षेत्रों में गैर मुस्लिमों को भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता हैं।
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