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संस्कृत मंत्रो में बहुत बार आनेवाले शब्द - "धीमहि", "पाहि माम्" और "प्रचोदयात्" का क्या अर्थ होता है।?

संस्कृत मंत्रों में आनेवाले शब्द- धीमहि,पाहि माम् और प्रचोदयात् शब्दों के अर्थ इस प्रकार होते हैं।-


धीमहि- यह शब्द "ध्या" धातु के लिङ् लकार का बहुवचन में छान्दस(वैदिक) प्रयोग है। जिसका अर्थ है। - ध्यायेमहि= हम सब ध्यान करते हैं।

प्रचोदयात्- यह शब्द प्रेरणार्थक चुद् धातु के लिङ् लकार का रूप है। जिसमें प्र उपसर्ग लगा है। जो प्रकृष्ट या श्रेष्ठ अर्थ का वाचक है। अतः प्रचोदयात् शब्द का अर्थ है।- अच्छे(श्रेष्ठ) कर्मों में प्रेरित करें।

इन दोनों शब्दों का प्रयोग प्रसिद्ध गायत्री मंत्र में किया गया है। जो इस प्रकार है-ऊँ भूर्भुवःस्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात्।।ऋग्वेद ३।६२।१०।। उँ प्रणव,ब्रह्मस्वरूप। भूर्= पृथ्वीलोक, भुवः=अन्तरिक्षलोक,स्वः=द्युलोक।गायत्री मंत्र में प्रणव(ऊँ) एवं व्याहृति(भूर्भुवःस्वः) लगाकर ही जप करने का विधान है। अतः गायत्री मंत्र का प्रणव एवं व्याहृति सहित उल्लेख किया गया है।

गायत्री मंत्र के विश्वामित्र ऋषि एवं सविता देवता हैं। गायत्री मंत्र नही,महामंत्र है। गायत्री के जाप एवं अराधना से सभी देवताओं अथवा स्व इष्ट की अराधना हो जाती है।इसीलिए कहा गया है।- अभावे सर्व विद्यानां गायत्री जपेत्= सभी विद्या(ब्रह्मविद्या) के अभाव में गायत्री जपना चाहिए।

अन्वय- देवस्य सवितुः वरेण्यं तत् भर्गो धीमहि यो नः धियः प्रचोदयात्।अर्थ- सविता(=सूर्य,प्रेरणा देने वाले,सृजन करनेवाले) देव(=देवो दानात् दीपनात् वा= जो दाता है। अथवा, प्रकाशमान हैं। )के वरणीय सर्वश्रेष्ठ(=वरेण्य)तेजःस्वरूप(=भर्गः)का हम ध्यान करते हैं। (=धीमहि)जो(=यः)हम सबकी(=नः)बुद्धि को(=धियः)अच्छे कर्मों में प्रेरित करें(=प्रचोदयात्)।

ऊपर गायत्री मंत्र का शास्त्र सम्मत अर्थ दिया गया है। एवं कोष्ठ में उनके संस्कृत शब्दों को रखा गया है।

पाहि माम्— याचना अर्थ में पा रक्षणे धातु से लोट् लकार में मध्यम पुरुष में पाहि शब्द बनता है जिसका अर्थ होता हैह - रक्षा करो।

माम् - अस्मद् शब्द(सर्वनाम) के द्वितीया विभक्ति,एकवचन में माम् शब्द का अर्थ होता है।- मुझको। किन्तु यहां अर्थ होता है।- मेरी।

अतः पाहि माम् का अर्थ होगा= मेरी रक्षा करो। यहां माम् =मेरी(मेरा) का अर्थ संबंध वाचक नहीं है। उसके लिये संस्कृत में मम शब्द है।

पाहि माम् का प्रयोग चन्द्रशेखर अष्टकम् में किया गया है।

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम्।चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष माम्।। अर्थ- हे चन्द्रशेखर हे चन्द्रशेखर हे चन्द्रशेखर(भगवान् शंकर) मेरी रक्षा करो। हे चन्द्रशेखर हे चन्द्रशेखर हे चन्द्रशेखर मेरी रक्षा करो।।

      ।। जय श्री महाकाल।।


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