१. शरीर में कहीं पर भी कोई रोग हो, पर नित्य छाती और आमाशय की मांस पेशियों को बलशाली बनाने के उद्देश्य से अनुशासन बद्ध प्राणायाम किया जाय तो निश्चय हो स्वस्थ जीवन पाया जा सकता है।
२. अपने जीवन के उद्देश्यों का मूल्यांकन करते रहिए, जीवन में क्या पाना है, इस पर जोर देने के बजाय आपको क्या बनना है, इस पर विचार केन्द्रित कीजिये ।
३. अधिक कामों में उलझने की अपेक्षा कम और महत्वपूर्ण काम हाथ में रखिये और उसे सफलतापूर्वक पूरा कीजिए, आपके व्यक्तित्व के लिए यह ज्यादा उचित रहेगा।
४. अपना कुछ समय अकेले में अवश्य बिताइये, कुछ नहीं हो तो बैठे-बैठे मन हो मन गुनगुनाइये, संगीत में खो जाइये या प्रकृति को निहारिये, इससे आपके शरीर व मन को पूरा आराम मिलेगा ।
५. यदि कहीं पहुंचना है या कोई काम करना है तो जल्दबाजी मत कीजिये, ऐसी आदत घोरे-धीरे बना लीजिये, इससे तनाव नहीं होगा ।
६. रोज निश्चित समय से पांच मिनट पहले उठिये, ताकि आपकी दिनचर्या जल्दबाजी या हड़बड़ी से शुरू न हो।
७. बहुत कम बोलिये और ज्यादा से ज्यादा सुनने का अभ्यास कीजिये ।
८. छोटी-छोटी बातों पर झल्लाइये मत, गुस्सा मत कीजिये, आपके हाथ में जब यह नहीं है, तो फिर भल्लाने से क्या फायदा ?
९. आलोचना करने वालों को कोई जवाब मत दीजिये, वे स्वतः हो चुप हो जायेंगे ।
१०. सहज व्यवहार करने वालों को अपना दोस्त बनाइये ।
११. जल्दबाजी दिल का दौरा लेकर भाती है, इसलिए प्रत्येक कार्य शांति से कीजिये।
१२. अपने वजन का ध्यान रखिये, वजन बढ़ना मृत्यु के दरवाजे पर जाकर खड़े होने के बराबर है।
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