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दिशाशूल (दिशाशूर) ।।

दिशाशूल जानने की ट्रिक ।।

सोम शनीचर पूर्व ना चालू।
मंगल बुध उत्तर दिशिकालू ।।
रवि शुक्र जो पश्चिम जाए ।
हानि होय पथ सुख नहीं पाए।।
गुरुवे दखिन करे पयाना।
फिर नहीं समझो ताको आना ।।

जानें क्या होता है दिशाशूल और क्या इसका भी होता है कोई उपाय ~
यात्रा पर निकलने से पहले जरूर जान लें दिशाशूल नहीं तो झेलने पड़ते हैं दुष्परिणाम। जानें कब और कैसे नहीं पड़ता दिशाशूल का आप पर असर,
इंसान के जीवन में यात्रा का बहुत महत्व होता है। फिर चाहे यात्रा छोटी दूरी की हो अथवा लंबी दूरी की हो। परिणाम उसकी शुभता और अशुभता, सफलता और असफलता पर निर्भर करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिन विशेष को की जाने यात्रा से संबंधित दोष को विस्तार से बताया गया है। जिसे हम दिशाशूल (Disha Shool) के नाम से जानते हैं। दिशाशूल का अर्थ होता है — एक दिशा विशेष में जाने पर अशुभ परिणाम की प्राप्ति होना या फिर कहें कि जिस दिशा में जाने पर हानि अथवा अशुभ परिणाम मिलने की आशंका हो, वह दिशाशूल (Disha Shool) कहलाती है। यही कारण है कि सनातन परंपरा में कार्य विशेष हेतु निकलने से पहले दिशा का विचार अवश्य किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि दिशाओं को लेकर क्या कुछ नियम हैं, जिन्हें यात्रा करते समय हमें ध्यान में रखना चाहिए —

कब ​किधर होता है दिशाशूल

दिशावार
पूर्वसोमवार, शनिवार
दक्षिणगुरुवार
पश्चिमशुक्र, रविवार
उत्तरमंगल, बुधवार
अग्निकोणसोमवार, गुरुवार
नैऋत्य कोणरविवार, शुक्रवार
वायव्य कोणमंगलवार
ईशान कोणबुधवार, शनिवार

चंद्र राशि के अनुसार दिशाशूल

पूर्वमेष, सिंह और धनु
दक्षिणवृष, कन्या, मकर
पश्चिममिथुन, तुला, कुंभ
उत्तरकर्क, वृश्चिक, मीन

इस बात का हमेशा रखें ध्यान

यदि एक दिन के भीतर ही किसी स्थान पर पहुँचना और फिर वापस आना निश्चित हो तो दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है। यात्रा के दौरान चंद्रमा यदि सामने अथवा दाहिने हो तो शुभ फलदायक और बाएं या पीछे हों तो विपरीत फलदायक होते हैं।

दिशाशूल का महाउपाय

जिस दिशा में दिशाशूल (Disha Shool) हो उसकी यात्रा करने पर अक्सर लोगों को तमाम तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं। लेकिन यदि कोई अति आवश्यक कार्य आ जाये तो उसके लिए भी हमारे यहां परिहार बताये गये हैं। जैसे रविवार को पान खाकर, सोमवार को आईने में देखकर, मंगलवार को गुड़ खाकर, बुधवार को धनियां, गुरुवार को जीरा, शुक्रवार को दही और शनिवार को अदरख खाकर निकलने से उस दिशा से संबंधित दोष दूर हो जाता है।

इस उपाय से भी दूर होगा दिशाशूल

यदि किसी दिशा में दिशाशूल हो और उस दिशा में जाना बहुत जरूरी हो तो उस दिशा से संबंधित दोष को निम्नलिखित चीजों को धारण करके दूर किया जा सकता है। रविवार का दिशाशूल दूर करने के लिए
पान, सोमवार को चंदन, मंगलवार को मिट्टी, बुधवार को पुष्प, गुरुवार को दही, शुक्रवार को घी और शनिवार को तिल धारण करके निकलने पर दिशा संबंधी दोष दूर हो जाता है।

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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