कब किधर होता है दिशाशूल
दिशा | वार |
पूर्व | सोमवार, शनिवार |
दक्षिण | गुरुवार |
पश्चिम | शुक्र, रविवार |
उत्तर | मंगल, बुधवार |
अग्निकोण | सोमवार, गुरुवार |
नैऋत्य कोण | रविवार, शुक्रवार |
वायव्य कोण | मंगलवार |
ईशान कोण | बुधवार, शनिवार |
पूर्व | मेष, सिंह और धनु |
दक्षिण | वृष, कन्या, मकर |
पश्चिम | मिथुन, तुला, कुंभ |
उत्तर | कर्क, वृश्चिक, मीन |
इस बात का हमेशा रखें ध्यान
यदि एक दिन के भीतर ही किसी स्थान पर पहुँचना और फिर वापस आना निश्चित हो तो दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है। यात्रा के दौरान चंद्रमा यदि सामने अथवा दाहिने हो तो शुभ फलदायक और बाएं या पीछे हों तो विपरीत फलदायक होते हैं।
दिशाशूल का महाउपाय
जिस दिशा में दिशाशूल (Disha Shool) हो उसकी यात्रा करने पर अक्सर लोगों को तमाम तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं। लेकिन यदि कोई अति आवश्यक कार्य आ जाये तो उसके लिए भी हमारे यहां परिहार बताये गये हैं। जैसे रविवार को पान खाकर, सोमवार को आईने में देखकर, मंगलवार को गुड़ खाकर, बुधवार को धनियां, गुरुवार को जीरा, शुक्रवार को दही और शनिवार को अदरख खाकर निकलने से उस दिशा से संबंधित दोष दूर हो जाता है।
इस उपाय से भी दूर होगा दिशाशूल
यदि किसी दिशा में दिशाशूल हो और उस दिशा में जाना बहुत जरूरी हो तो उस दिशा से संबंधित दोष को निम्नलिखित चीजों को धारण करके दूर किया जा सकता है। रविवार का दिशाशूल दूर करने के लिए
पान, सोमवार को चंदन, मंगलवार को मिट्टी, बुधवार को पुष्प, गुरुवार को दही, शुक्रवार को घी और शनिवार को तिल धारण करके निकलने पर दिशा संबंधी दोष दूर हो जाता है।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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