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‘ श्रीकृष्ण ’ को अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

01. उत्तर प्रदेश में कृष्ण या गोपाल गोविन्द इत्यादि नामों से जानते है।

02. राजस्थान में श्रीनाथजी या ठाकुरजी के नाम से जानते है। 

03. महाराष्ट्र में विट्ठल के नाम से भगवान् जाने जाते है।

04. उड़ीसा में जगन्नाथ के नाम से जाने जाते है।

05. बंगाल में गोपालजी के नाम से जाने जाते है।

06. दक्षिण भारत में वेंकटेश या गोविन्दा के नाम से जाने जाते है।

07. गुजरात में द्वारिकाधीश के नाम से जाने जाते है।

08. असम, त्रिपुरा, नेपाल इत्यादि पूर्वोत्तर क्षेत्रो में कृष्ण नाम से ही पूजा होती है।

09. मलेशिया, इंडोनेशिया, अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस इत्यादि देशो में कृष्ण नाम ही विख्यात है।

10. गोविन्द या गोपाल में “गो” शब्द का अर्थ गाय एवं इन्द्रियों, दोनों से है। गो एक संस्कृत शब्द है और ऋग्वेद में गो का अर्थ होता है–‘मनुष्य की इन्द्रियाँ’...जो इन्द्रियों का विजेता हो जिसके वश में इन्द्रियाँ हो वही गोविन्द है गोपाल है

11. ‘श्रीकृष्ण’ के पिता का नाम वसुदेव था इसलिए इन्हें आजीवन ‘वासुदेव’ के नाम से जाना गया। ‘श्रीकृष्ण’ के दादा का नाम शूरसेन था..

12. ‘श्रीकृष्ण’ का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के राजा कंस की जेल में हुआ था।

13. ‘श्रीकृष्ण’ के भाई बलराम थे लेकिन उद्धव और अंगिरस उनके चचेरे भाई थे, अंगिरस ने बाद में तपस्या की थी और जैन धर्म के तीर्थंकर नेमिनाथ के नाम से विख्यात हुए थे।

14. ‘श्रीकृष्ण’ ने 16000 राजकुमारियों को असम के राजा नरकासुर की कारागार से मुक्त कराया था और उन राजकुमारियों को आत्महत्या से रोकने के लिए मजबूरी में उनके सम्मान हेतु उनसे विवाह किया था। क्योंकि उस युग में हरण की गयी स्त्री अछूत समझी जाती थी और समाज उन स्त्रियों को अपनाता नहीं था।

15. ‘श्रीकृष्ण’ की मूल पटरानी एक ही थी जिनका नाम रुक्मणी था जो महाराष्ट्र के विदर्भ राज्य के राजा रुक्मी की बहन थी।। रुक्मी शिशुपाल का मित्र था और ‘श्रीकृष्ण’ का शत्रु।

16. दुर्योधन ‘श्रीकृष्ण’ का समधी था और उसकी बेटी लक्ष्मणा का विवाह ‘श्रीकृष्ण’ के पुत्र साम्ब के साथ हुआ था।

17. ‘श्रीकृष्ण’ के धनुष का नाम सार्ङ्ग था। शंख का नाम पाञ्चजन्य था। चक्र का नाम सुदर्शन था। उनकी प्रेमिका का नाम राधारानी था जो बरसाना के सरपंच वृषभानु की बेटी थी। ‘श्रीकृष्ण’ राधारानी से निष्काम और निश्वार्थ प्रेम करते थे। राधारानी ‘श्रीकृष्ण’ से उम्र में बहुत बड़ी थी। लगभग 6 साल से भी ज्यादा का अन्तर था। ‘श्रीकृष्ण’ ने 14 वर्ष की उम्र में वृन्दावन छोड़ दिया था।। और उसके बाद वो राधा से कभी नहीं मिले।

18. ‘श्रीकृष्ण’ विद्या अर्जित करने हेतु मथुरा से उज्जैन मध्य प्रदेश आये थे। और यहाँ उन्होंने उच्च कोटि के ब्राह्मण महर्षि सान्दीपनि से अलौकिक विद्याओ का ज्ञान अर्जित किया था।।

19. ‘श्रीकृष्ण’ कुल 125 वर्ष धरती पर रहे। उनके शरीर का रंग गहरा काला था और उनके शरीर से 24 घण्टे पवित्र अष्टगन्ध महकता था। उनके वस्त्र रेशम के पीले रंग के होते थे और मस्तक पर मोरमुकुट शोभा देता था। उनके सारथि का नाम दारुक था और उनके रथ में चार घोड़े जुते होते थे। उनकी दोनो आँखों में प्रचण्ड सम्मोहन था।

20. ‘श्रीकृष्ण’ के कुलगुरु महर्षि शाण्डिल्य थे।

21. ‘श्रीकृष्ण’ का नामकरण महर्षि गर्ग ने किया था।

22. ‘श्रीकृष्ण’ के बड़े पोते का नाम अनिरुद्ध था जिसके लिए ‘श्रीकृष्ण’ ने बाणासुर और भगवान् शिव से युद्ध करके उन्हें पराजित किया था।

23. ‘श्रीकृष्ण’ ने गुजरात के समुद्र के बीचों-बीच द्वारिका नाम की राजधानी बसाई थी। द्वारिका पूरी सोने की थी और उसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था।

24. ‘श्रीकृष्ण’ को ज़रा नाम के शिकारी का बाण उनके पैर के अंगूठे मे लगा वो शिकारी पूर्व जन्म का बाली था, बाण लगने के पश्चात भगवान स्वलोक धाम को गमन कर गए।

25. ‘श्रीकृष्ण’ ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अर्जुन को पवित्र गीता का ज्ञान रविवार शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन मात्र 45 मिनट में दे दिया था।

26. ‘श्रीकृष्ण’ ने सिर्फ एक बार बाल्यावस्था में नदी में नग्न स्नान कर रही स्त्रियों के वस्त्र चुराए थे और उन्हें अगली बार यूँ खुले में नग्न स्नान न करने की नसीहत दी थी।

27. ‘श्रीकृष्ण’ के अनुसार गौ हत्या करने वाला असुर है और उसको जीने का कोई अधिकार नहीं।

28. ‘श्रीकृष्ण’ अवतार नहीं थे बल्कि अवतारी थे....जिसका अर्थ होता है–‘पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान्।’ न ही उनका जन्म साधारण मनुष्य की तरह हुआ था और न ही उनकी मृत्यु हुई थी।

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