#ऐतिहासिक स्रोत
◇ सबसे पुराना कन्नड़ शिलालेख 5वीं/6वीं शताब्दी के बाद का है, लेकिन इस भाषा में साहित्य का सबसे पुराना जीवित टुकड़ा कविराजमार्ग (कवियों का शाही मार्ग) है, जो कविताओं पर 9वीं शताब्दी का काम है।
◇ 10वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध कवि पम्पा, पोन्ना और रन्ना थे, इन सभी ने जैन पुराण लिखे।
◇ आदि पुराण (पहले तीर्थंकर ऋषभ या आदिनाथ के जीवन का लेखा-जोखा) के लेखक पम्पा ने महाभारत की कहानी पर आधारित विक्रमार्जुनविजय भी लिखा था।
◇ पोन्ना ने संस्कृत और कन्नड़ दोनों में लिखा, और उन्हें उभय-कविचक्रवर्ती की उपाधि दी गई।
◇ चावुंदा राय ने निरंतर गद्य में 24 जैन संतों का लेखा-जोखा त्रिशष्टिलाक्षण महापुराण लिखा।
◇ 12वीं सदी में नागचंद्र या अभिनव पंपा ने रामचंद्रचरित्र पुराण लिखा था।
◇ 12वीं शताब्दी की कन्नड़ कृतियों में नेमिनाथ की लीलावती शामिल है जो एक कदंब राजकुमार और एक सुंदर राजकुमारी की प्रेम कहानी बताती है।
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