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प्रज्ञा का जगना :
इन 21वस्तुओं को सीधे पृथ्वी पर रखना वर्जित होता है। ये वस्तुयें पृथ्वी की ऊर्जा को अव्यवस्थित करती हैं और उस स्थान को अशुभ बनाती हैं।
ये वस्तुयें हैं -
(1) मोती
(2) शुक्ति (सीपी)
(3) शालग्राम
(4) शिवलिंग
(5) देवी मूर्ति
(6) शंख
(7) दीपक
(8) यन्त्र
(9) माणिक्य
(10) हीरा
(11) यज्ञसूत्र (यज्ञोपवीत)
(12) पुष्प (फूल)
(13) पुष्पमाला
(14) जपमाला
(15) पुस्तक
(16) तुलसीदल
(17) कर्पूर
(18) स्वर्ण
(19) गोरोचन
(20) चंदन
(21) शालिग्राम का स्नान कराया अमृत जल ।
इन सभी वस्तुओं को किसी आधार पर रख तभी उस पर इनको स्थापित कर पूजित किया जाता है। पृथ्वी पर अक्षत, आसन, काष्ठ या पात्र रख कर इनको उस पर रखते हैं-
मुक्तां शुक्तिं हरेरर्चां शिवलिंगं शिवां तथा ।
शंखं प्रदीपं यन्त्रं च माणिक्यं हीरकं तथा ।।
यज्ञसूत्रं च पुष्पं च पुस्तकं तुलसीदलम् ।
जपमालां पुष्पमालां कर्पूरं च सुवर्णकम् ।।
गोरोचनं च चन्दनं च शालग्रामजलं तथा ।
एतान् वोढुमशक्ताहं क्लिष्टा च भगवन् शृणु।।
अतएव इन इक्कीस वस्तुओं को सजगता पूर्वक किसी न किसी वस्तु के ऊपर रखना चाहिए।
प्रायः दीपक को लोग अक्षतपुंज पर रखते हैं।
पुस्तक को मेज पर रखते हैं। शालिग्राम और देवी की मूर्ति को पीठिका पर रखते हैं।
शंख को त्रिपादी पर रखते हैं। स्वर्ण को डिब्बी में रखते हैं।
फूल, फूलमाला को पुष्पपात्र में तथा यज्ञोपवीत को किसी पत्र पर रखते हैं।
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दिशाशूल (दिशाशूर) ।।
कब किधर होता है दिशाशूल
दिशा | वार |
पूर्व | सोमवार, शनिवार |
दक्षिण | गुरुवार |
पश्चिम | शुक्र, रविवार |
उत्तर | मंगल, बुधवार |
अग्निकोण | सोमवार, गुरुवार |
नैऋत्य कोण | रविवार, शुक्रवार |
वायव्य कोण | मंगलवार |
ईशान कोण | बुधवार, शनिवार |
पूर्व | मेष, सिंह और धनु |
दक्षिण | वृष, कन्या, मकर |
पश्चिम | मिथुन, तुला, कुंभ |
उत्तर | कर्क, वृश्चिक, मीन |
इस बात का हमेशा रखें ध्यान
यदि एक दिन के भीतर ही किसी स्थान पर पहुँचना और फिर वापस आना निश्चित हो तो दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है। यात्रा के दौरान चंद्रमा यदि सामने अथवा दाहिने हो तो शुभ फलदायक और बाएं या पीछे हों तो विपरीत फलदायक होते हैं।
दिशाशूल का महाउपाय
जिस दिशा में दिशाशूल (Disha Shool) हो उसकी यात्रा करने पर अक्सर लोगों को तमाम तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं। लेकिन यदि कोई अति आवश्यक कार्य आ जाये तो उसके लिए भी हमारे यहां परिहार बताये गये हैं। जैसे रविवार को पान खाकर, सोमवार को आईने में देखकर, मंगलवार को गुड़ खाकर, बुधवार को धनियां, गुरुवार को जीरा, शुक्रवार को दही और शनिवार को अदरख खाकर निकलने से उस दिशा से संबंधित दोष दूर हो जाता है।
इस उपाय से भी दूर होगा दिशाशूल
यदि किसी दिशा में दिशाशूल हो और उस दिशा में जाना बहुत जरूरी हो तो उस दिशा से संबंधित दोष को निम्नलिखित चीजों को धारण करके दूर किया जा सकता है। रविवार का दिशाशूल दूर करने के लिए
पान, सोमवार को चंदन, मंगलवार को मिट्टी, बुधवार को पुष्प, गुरुवार को दही, शुक्रवार को घी और शनिवार को तिल धारण करके निकलने पर दिशा संबंधी दोष दूर हो जाता है।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)