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अयोध्याकाण्ड/रामविधुरा अयोध्या ।।

              ॥ श्रीसीतारामाभ्यां नमः॥

                   🪷 गीतावली 🪷

                   🌞 पद - ८५ 🌞
          
हौं तो समुझि रही अपनो सो ।
राम-लषन - सियको सुख मोकहँ भयो, सखी! सपनो सो ॥१॥
जिनके बिरह - बिषाद बँटावन खग-मृग जीव दुखारी ।
मोहि कहा सजनी समुझावति, हौं तिन्हकी महतारी ॥२॥
भरत - दसा सुनि, सुमिरि भूपगति, देखि दीन पुरबासी ।
तुलसी 'राम' कहति हौं सकुचति, वैहै जग उपहाँसी ॥३॥

       भावार्थ - 'सखि ! मैं तो अपनी सी बात समझती हूँ। अरी! मेरे लिये तो राम, लक्ष्मण और सीता का सुख स्वप्न के समान हो गया ।१। जिनकी विरह व्यथा को बँटाने के लिये आज पशु-पक्षी आदि सभी जीव दुखी हो रहे हैं, अरी सजनी! 'उनके विषय में मुझे क्या समझाती है ? मैं तो उनकी माता हूँ ।२। भरत की दशा सुनकर, महाराज की गति स्मरण कर और पुरवासियों को दीन देखकर मैं तो 'राम' कहने में भी सकुचाती हूँ, क्योंकि इससे संसार में मेरी हँसी होगी (कि देखो, इन दूर के सम्बन्धियों की तो ऐसी दुर्दशा है और स्वयं माता होकर यह जीवन धारण कर रही है )' ।३।


            ।।  जय जय सियाराम ।।

ऋतुओं का प्रभाव ।।

हिन्दू व्रत और त्योहार का संबंध मौसम से भी रहता है। अच्छे मौसम में मांगलिक कार्य और कठिन मौसम में व्रत रखें जाते हैं। चातुर्मास में वर्षा, शिशिर और शीत ऋतुओं का चक्र रहता है जो कि शीत प्रकोप पैदा करता है... 


शीत प्रकोप के कारण जठराग्नि मंद हो जाती है, पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है, इसीलिए भी आरोग्य की दृष्टि से जप तप के द्वारा खाने में संयम रखने के लिए व्रत उपवास आदि किए जाते हैं ।

👉 श्री देव शयनी एकादशी व्रत और पूजा विधि👇

1. व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद देवशयनी एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प करें. इसके लिए आप हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर संकल्प करें।

2. प्रात: से ही बहुत सारे सिद्ध योग है. ऐसे में आप प्रात: स्नान के बाद देवशयनी एकादशी व्रत की पूजा कर सकते हैं. इसके लिए भगवान विष्णु की शयन मुद्रा वाली तस्वीर या मूर्ति की स्थापना करें क्योंकि यह उनके शयन की एकादशी है।

3 . अब आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, फल, चंदन, अक्षत्, पान का पत्ता, सुपारी, तुलसी के पत्ते, पंचामृत आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते रहें।

4 . फिर माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करें. उसके पश्चात विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और देवशयनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. पूजा का समापन भगवान विष्णु की आरती से करें।

5 . ​दिनभर फलाहार पर रहें. भगवत वंदना और भजन-कीर्तन में समय व्यतीत करें. संध्या आरती के बाद रात्रि जागरण करें।

6. अगली सुबह स्नान के बाद पूजन करें. किसी ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा देकर संतुष्ट करें।

7 . इस पश्चात पारण समय में पारण करके व्रत को पूरा करें. इस प्रकार से देवशयनी एकादशी का व्रत करना चाहिए🙏🏻

🙏 ओम नमो नारायणाय 🙏
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एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते ।
ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥

🚩धर्मो रक्षति रक्षितः ࿗ सुखस्य मूलं धर्मः 🚩

ज्योतिष में गो-महिमा ।।

१. ज्योतिष में गोधूलि का समय विवाह के लिये सर्वोत्तम माना गया है।

२. यदि यात्रा के प्रारम्भ में गाय सामने पड़ जाय अथवा अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने पड़ जाय तो यात्रा सफल होती है।

३. जिस घर में गाय होती है, उसमें वास्तुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है।

४. यदि रास्ते में जाते समय गोमाता आती हुई दिखायी दें तो उन्हें अपने दाहिने से जाने देना चाहिये, यात्रा सफल होगी।

५. यदि बुरे स्वप्न दिखायी दें तो मनुष्य गोमाता का नाम ले, बुरे स्वप्न दिखने बन्द हो जायँगे।

६. गाय के घी का एक नाम आयु भी है- 'आयुर्वै घृतम्'। अतः गाय के दूध-घी से व्यक्ति दीर्घायु होता है। हस्तरेखा में आयुरेखा टूटी हुई हो तो गाय का घी काम में लें तथा गाय की पूजा करें।

७. गोमाता के नेत्रों में प्रकाशस्वरूप भगवान् सूर्य तथा ज्योत्स्ना के अधिष्ठाता चन्द्रदेव का निवास होता है। जन्मपत्री में सूर्य-चन्द्र कमजोर हों तो गोनेत्र के दर्शन करें लाभ होगा।(कल्याण)

नारायण! नारायण!! नारायण!!!

।। श्रीकरपात्र-वाक्सुधा ।।

....वक्ताओं पर बड़ी भारी जिम्मेदारी है। शास्त्रोक्त सदाचार, परोपकारपरायणता तथा समताका अनुष्ठान और प्रचार अधिक मात्रामें करना चाहिए। ध्यान रहे; यदि इस व्याजसे कुछ कीर्तिलिप्सा या वित्तलिप्सा होगी तो यह सब निरर्थक हो जायगा। कारण यह कि चाहे लोकोपकारार्थ कितना ही ऊँचा प्रयत्न करनेवाला हो; पर उसमें यदि धन, मान, कामकी लिप्सा होती है तो लोकमें उसका अनादर हो जाता है। विशेषकर ब्राह्मणका तो तुरन्त अनादर और अपकर्ष होता है; दुरभिसन्धिपूर्वक ब्राह्मणोंको लाञ्छित करनेका पूर्ण प्रयास किये जानेके कारण उनके प्रति लोगोंमें नाममात्र विश्वास रह गया है।

अतः धर्मप्रचारके लिए भेजे हुए द्रव्यकी भी जब उपेक्षा की जायगी तभी संसार तथा अपने कल्याणके लिए प्रयत्न सफल हो सकता है, अन्यथा नहीं। साथ ही विद्वदभिमत शास्त्रीय सिद्धान्तको नागरिक तथा ग्रामीण संस्कृत विद्यालयोंके अध्यापकों और विद्यार्थियोंमें भी प्रचारित करने का सुदृढ़ आयोजन किया जाना अत्यावश्यक है। अनन्तर ग्रामोंके संघटनके कार्यक्रमका तथा वहाँ भी धर्मप्रचारके कार्यका भार तत्तत्क्षेत्रीय मनीषियोंको देना चाहिए।

श्री राधारानी की अष्ट सखियों की जानकारी ।।

राधा रानी की अष्ट सखियों का चित्र दर्शन और राधा रानी की अष्ट सखियो के बारे मे जानते है…

ललिता सखी – ये सखी श्रीजी की सबसे चतुर और प्रिय सखी है। ललिता सखी राधा रानी को तरह-तरह के खेल खिलाती है। कभी नौका-विहार तो कभी वन-विहार कराती है। ये सखी ठाकुर जी को हर समय बीडा(पान) देती रहती है। ये ऊँचे गाँव मे रहती है। इनकी उम 14 साल 8 महीने 27 दिन है।

विशाखा सखी – ये सखी गौरांगी रंग की है। श्रीजी की ये सखी ठाकुर जी को सुदंर-सुदंर चुटकुले सुनाकर हँसाती है। ये सखी सुगन्धित दव्यो से बने चन्दन का लेप करती है। इनकी उम 14 साल 2 महीने 15 दिन है।

चम्पकलता सखी – ये सखी ठाकुर जी को अत्यन्त पेम करती है। ये करहला गाव मे रहती है।इनका अंग वण पुष्प-छटा की तरह है।ये ठाकुर जी की रसोई सेवा करती है। इनकी उम 14 साल 2 महीने 13 दिन है।

चिता सखी – ये सखी राधा रानी की अति मन भावँती सखी है। ये बरसाने मे चिकसौली गाव मे रहती है। जब ठाकुर जी 4 बजे सोकर उठते है तब यह सखी फल, शबत, मेवा लेकर खड़ी रहती है। इनकी उम 14 साल 7 महीने 14 दिन है।

तुगंविधा सखी – श्री राधारानी जी की ये सखी चदंन की लकड़ी के साथ कपूर हो ऐसे महकती है। ये युगलवर के दरबार मे नृत्य, गायन करती है। ये वीणा बजाने मे चतुर है। ये गौरा माँ पार्वती का अवतार है। इनकी उम 14 साल 2 महीने 22 दिन है।

इन्दुलेखा सखी – ये सखी अत्यन्त सुझबुझ वाली है। ये सुनहरा गाव मे रहती है।ये किसी कि भी हस्तरेखा को देखकर बता सकती है कि उसका क्या भविष्य है। ये पेम कहानियाँ सुनाती है। इनकी उम 14 साल 2 महीने 10 दिन है।

रगंदेवी सखी – ये बड़ी कोमल व सुदंर है। ये राधा रानी के नैनो मे काजल लगाती है और शिंगार करती है।इनकी उम 14 साल 2 महीने 4 दिन की है।

सुदेवी सखी – ये सबसे छोटी सखी है। बड़ी चतुर और पिय सखी है। ये सुनहरा गाव मे रहती है। ये ठाकुर जी को पानी पिलाने की सेवा करती है।इनकी उम 14 साल 2 महीने 4 दिन की है।

जय श्री राधे राधे !!
जय अष्ट सखी शिरोमनी जी राधे राधे