#ऐतिहासिक स्रोत
📍 दूसरी शताब्दी CE के शिलालेखों में जगह के नाम तेलुगु की प्राचीनता का सुझाव देते हैं, जबकि 5वीं-6वीं शताब्दी CE के शिलालेख तेलुगु के शास्त्रीय रूप को आकार देने को दर्शाते हैं।
भाषा: हिन्दी।
📍 तेलुगु साहित्य का सबसे पहला जीवित कार्य नन्नया की 11वीं शताब्दी में महाभारत की पहली ढाई पुस्तकों का मिश्रित पद्य और गद्य में प्रतिपादन है।
📍 नन्नया ने तेलुगु काव्य शैली की नींव रखी, और तेलुगु परंपरा ने उन्हें वागनुशासनुंडु (भाषण के निर्माता) की उपाधि दी।
📍 नेल्लोर क्षेत्र में स्थित एक शासक, मनुमसिद्धि के दरबार से जुड़े एक मंत्री, टिक्काना ने नन्नया के महाभारत में 15 पर्व जोड़े और कथा शैली में नए रुझान स्थापित किए। उन्होंने उत्तररामायणमू नामक कृति की भी रचना की।
📍 काकतीय काल के दौरान 14वीं शताब्दी में तेलुगु साहित्य परिपक्वता के स्तर पर पहुंच गया और विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय (1509-29 CE) के शासनकाल के दौरान इसकी उपलब्धि का उच्चतम बिंदु था।