Follow us for Latest Update

मृत्यु का बदलता पैटर्न ।।

एक बेहतरीन गायक और शानदार शख्सियत कृष्णकुमार कुन्नाथ 'केके' मात्र 53 वर्ष की आयु में आज अचानक उस वक्त अपने फैंस को स्तब्ध छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए शांत हो गए जब वे कोलकाता के एक लाइव कार्यक्रम में मंच पर परफॉर्म कर रहे थे। अपना सबसे पसंदीदा काम करते हुए यानी गाने गाते हुए उन्होंने आखिरी साँसें ली,एक यही बात सोचकर उनके फैंस जरा सी तसल्ली महसूस कर सकते हैं। केके अपने पीछे परिवार में पत्नी व दो छोटे बच्चे छोड़ गए हैं। सोचता हूँ अन्य सेलेब्रिटीज़ की तरह उन्होंने भी आज हैल्दी ब्रेकफास्ट लिया होगा,दैनिक व्यायाम, योगा या जिम वर्कआउट किया होगा। कुछेक लोगों के साथ व्यावसायिक मीटिंग्स की होंगीं। आज के कार्यक्रम के लिए टिपटॉप तैयार होकर मंच पर पहुंचे होंगे जहाँ उन्हें एक यादगार हाई एनर्जी परफॉर्मेंस देनी थी। उनके शेड्यूल में अगले कुछ महीनों के कार्यक्रम पूर्व निर्धारित रहे होंगे। एक तिरेपन वर्षीय हैंडसम सेलेब्रिटी की जिंदगी शायद इससे भी अधिक व्यस्त रही होगी जितनी मैं सोच पा रही हूँ।

2 सितंबर,2021 को इसी तरह 40 वर्षीय परफैक्टली फिट नजर आनेवाले अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत ने भी दर्शकों को चौंका कर रख दिया था। उन्होंने आधी रात को अपनी माँ से सीने में हल्का दर्द होने की शिकायत की और अस्पताल ले जाए जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। 

कन्नड़ फिल्मों के सुपरस्टार और जानेमाने समाजसेवी 46 वर्षीय पुनीत राजकुमार की 26 अक्टूबर को बैंगलुरू में अचानक उस समय कार्डियक अरैस्ट के कारण मृत्यु हो गई जब वे प्रतिदिन की भाँति जिम में वर्कआउट कर रहे थे। वे कन्नड़ फैंस के दिलों में इस गहराई तक बसे हुए हैं कि आज उनकी मृत्यु के नौ महीने बाद भी हर गली,हर चौराहे पर गोलगप्पे बेचनेवाले से लेकर बड़े बड़े शोरूम वालों ने भी उनकी श्रद्धांजलि में बड़े-2 पोस्टर लगा रखे हैं।

इन तीनों ही सेलेब्रिटीज़ ने अपने जीवन में हर मुमकिन वह कोशिश की होगी जिससे वे एक लंबा व स्वस्थ, सफल जीवन अपने परिवार के साथ बिता सकें। निस्संदेह ये सभी खानपान के परहेज से लेकर कसरत आदि सभी प्रयासों के द्वारा एक अनुशासित जीवन का पालन करते रहे होंगे। फिर भी किसी को 53,किसी को 46 तो किसी को 40 वर्ष में बहुत भागदौड़ कर कमाई हुई सारी संपत्ति,इतना स्ट्रैस लेकर,तिकड़में भिड़ाकर अर्जित किया हुआ सारा वैभव अचानक ही छोड़कर जाना पड़ा। ऐसा नहीं है कि जीवनभर भागदौड़ करके उन्होंने कोई गलती की। दुख मात्र यह होता है कि ये प्यारे-2 लोग अपनों से यह भी ना कह पाए कि अब चलता हूँ,अपना ख्याल रखना। जाते समय अपने बच्चों को सीने से नहीं लगा पाए,उन्हें आखिरी पप्पियाँ नहीं दे पाए। दो चार दिन बीमार भी नहीं पड़े रहे कि कुछ आभास हो जाता तो माँ,पिता, पत्नी,दोस्तों से आखिरी बार अपने मन की कुछ साध कह लेते। 

कुछ वर्षों पहले तक जब मैनें अपने बुजुर्गों को अंतिम यात्रा पर जाते देखा था,मुझे याद है वे आराम से हमारे सर पर हाथ रखकर हमें असीसते हुए,गीता का सोलहवां अध्याय सुनते हुए शांतिपूर्वक अंतिम सांसें लेते थे। कौन सी करधनी किस नातिन को तो कौन सा गुलूबंद किस बहू को देना है, बहुत संतोषपूर्वक मैनें अपनी अपने घर के बुजुर्गों को मृत्युशैया पर बताते देखा। गौदान का संकल्प भी होश रहते ले लिया करते थे। आजकल मृत्यु का पैटर्न बदल गया है। अब मृत्यु गीता का सोलहवां अध्याय सुनने सुनाने का सुअवसर नहीं देती। अब बेटे बहू, यार दोस्तों से हँसते बतियाते हुए जाने की साध पूरी होती नहीं देखी जा रही। बहुत से लोग तो इतनी युवावस्था में जा रहे हैं कि बहू,दामाद,नाती,पोतों जैसे सुख और कर्तव्यों का आनंद एक दिवास्वप्न ही रह गया है। 

एक ही आग्रह है।
किसी से रूठकर ना बिछड़ें। किसी को रुलाकर ना सोएं। किसी को अपमानित करके बड़प्पन ना महसूस करें।
 किसी को दबाकर, किसी की स्थिति का फायदा उठाकर मूँछों पर ताव ना दें। 
हो सकता है जब तक हमें अपनी गलती महसूस हो तब तक वह जिसके प्रति हमसे अपराध हुआ है, अगर इस संसार को अलविदा कह दे तो हम किससे अपने अपराध क्षमा करवाएंगे, किससे माफी मांगेंगे। हम अपना मन उदार रखें। छोटी छोटी बातों को दिल से ना लगाएं। चोट और धोखा बेशक किसी से ना खाएं पर इतने तंगदिल भी ना हो जाएं कि प्रेम के दो बोल भी हमसे सुनने के लिए हमारे संपर्क में आने वाले तरस जाएं। 
तनी हुई भृकुटि में तो हमारी अंतिम तस्वींरें भी सुंदर नहीं आएंगीं।

सर्वे भवंतु सुखिनः। 🙏

Indian student Rishi rajpopat at Cambridge solves 2,500-year-old Sanskrit ।।


Indian student Rishi rajpopat at Cambridge solves 2,500-year-old Sanskrit grammatical problem now the language of Indian computers can be in Sanskrit, this will prove to be a very revolutionary discovery.

Navagunjara


Navagunjara- Hindu myth: an avatar of Vishnu. It has the legs of an elephant, tiger, and deer, along with a human arm that holds a lotus flower. It had the head of a rooster with the neck of a peacock. It's back and hump was of a bull, it's waist of a lion, and it's tail was a serpent.

विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें ।।

कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा.

स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो।
मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।

कालिदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।

कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।
पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ?

(अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे)

कालिदास बोले :- मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें।
स्त्री ने कहा :- नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है। उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है, दूसरे पेड़ जिनको पत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं। तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ?
(कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गए और तर्क-वितर्क से झल्लाकर बोले)

कालिदास बोले :- मैं हठी हूँ ।

स्त्री बोली :- फिर असत्य. हठी तो दो ही हैं- पहला नख और दूसरे केश, कितना भी काटो बार-बार निकल आते हैं। सत्य कहें ब्राह्मण कौन हैं आप ?

(पूरी तरह अपमानित और पराजित हो चुके थे)

कालिदास ने कहा :- फिर तो मैं मूर्ख ही हूँ ।

स्त्री ने कहा :- नहीं तुम मूर्ख कैसे हो सकते हो।
मूर्ख दो ही हैं। पहला राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर शासन करता है, और दूसरा दरबारी पंडित जो राजा को प्रसन्न करने के लिए ग़लत बात पर भी तर्क करके उसको सही सिद्ध करने की चेष्टा करता है।

(कुछ बोल न सकने की स्थिति में कालिदास वृद्धा के पैर पर गिर पड़े और पानी की याचना में गिड़गिड़ाने लगे)

वृद्धा ने कहा :- उठो वत्स ! (आवाज़ सुनकर कालिदास ने ऊपर देखा तो साक्षात माता सरस्वती वहां खड़ी थी, कालिदास पुनः नतमस्तक हो गए)
माता ने कहा :- शिक्षा से ज्ञान आता है न कि अहंकार । तूने शिक्षा के बल पर प्राप्त मान और प्रतिष्ठा को ही अपनी उपलब्धि मान लिया और अहंकार कर बैठे इसलिए मुझे तुम्हारे चक्षु खोलने के लिए ये स्वांग करना पड़ा।

कालिदास को अपनी गलती समझ में आ गई और भरपेट पानी पीकर वे आगे चल पड़े।

शिक्षा :-

विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें, यही घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है।

जामुन की लकड़ी का एक टुकड़ा ।।

जरूरी सूचना।,,,,,,,, हर व्यक्ति अपने घर की पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी का एक टुकड़ा जरूर रखें, एक रुपए का खर्चा भी नहीं और लाभ ही लाभ मात्र आपको जामुन की लकड़ी को घर लाना है अच्छी तरह साफ सफाई कर कर पानी की टंकी में डाल देना है इसके बाद आपको फिर पानी की टंकी की साफ सफाई की जरूरत नहीं पड़ेगी।,,,,,,,,,,,,,,


नाव की तली में जामुन की लकड़ी क्यों लगाते हैं, जबकि वह तो बहुत कमजोर होती है -. क्या आप जानते हैं भारत की विभिन्न नदियों में यात्रियों को एक किनारे से दूसरे किनारे पर ले जाने वाली नाव की तली में जामुन की लकड़ी लगाई जाती है। सवाल यह है कि जो जामुन पेट के रोगियों के लिए एक घरेलू आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी लकड़ी से दांतो को कीटाणु रहित और मजबूत बनाने वाली दातुन बनती है, उसी जामुन की लकड़ी को नाव की निचली सतह पर क्यों लगाया जाता है। वह भी तब जबकि जामुन की लकड़ी बहुत कमजोर होती है। मोटी से मोटी लकड़ी को हाथ से तोड़ा जा सकता है। नदियों का पानी पीने योग्य कैसे बना रहता है -. बहुत कम लोग जानते हैं कि जामुन की लकड़ी एक चमत्कारी लकड़ी है। यह पानी के अंदर रहते हुए सड़कर खराब नहीं होती बल्कि इसमें एक चमत्कारी गुण होता है। यदि इसे पानी में डूबा दिया जाए तो यह पानी का शुद्धिकरण करती है और पानी में कचरा जमा होने से रोकती है। कितना आश्चर्यजनक है कि हम जिन पूर्वजों को अनपढ़ मानते हैं उन्होंने नदियों को स्वच्छ बनाए रखने और नाव को मजबूत बनाए रखने का कितना असरकारी समाधान निकाला।

बावड़ी की तलहटी में 700 साल बाद भी जामुन की लकड़ी खराब नहीं हुई -. जामुन की लकड़ी के चमत्कारी परिणामों का प्रमाण हाल ही में मिला है। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन की बावड़ी की जब सफाई की गई तो उसकी तलहटी में जामुन की लकड़ी का एक स्ट्रक्चर मिला है। भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख श्री केएन श्रीवास्तव ने बताया कि जामुन की लकड़ी के स्ट्रक्चर के ऊपर पूरी बावड़ी बनाई गई थी। शायद इसीलिए 700 साल बाद तक इस बावड़ी का पानी मीठा है और किसी भी प्रकार के कचरे और गंदगी के कारण बावड़ी के वाटर सोर्स बंद नहीं हुए। जबकि 700 साल तक इसकी किसी ने सफाई नहीं की थी।

                आपके घर में जामुन की लकड़ी का उपयोग -. यदि आप अपनी छत पर पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डाल देते हैं तो आप के पानी में कभी काई नहीं जमेगी। 700 साल तक पानी का शुद्धिकरण होता रहेगा। आपके पानी में एक्स्ट्रा मिनरल्स मिलेंगे और उसका टीडीएस बैलेंस रहेगा। यानी कि जामुन हमारे खून को साफ करने के साथ-साथ नदी के पानी को भी साफ करता है और प्रकृति को भी साफ रखता है।

कृपया हमेशा याद रखिए कि दुनियाभर के तमाम राजे रजवाड़े और वर्तमान में अरबपति रईस जो अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता करते हैं। जामुन की लकड़ी के बने गिलास में पानी पीते हैं।.

पूर्व जन्म की कहानी ।।

कंस को मारने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कारागृह में गए और वहां से माता देवकी तथा पिता वसुदेव को छुड़ाया।

  तब माता देवकी ने श्रीकृष्ण से पूछा, "बेटा, तुम भगवान हो, तुम्हारे पास असीम शक्ति है, फिर तुमने चौदह साल तक कंस को मारने और हमें यहां से छुड़ाने की प्रतीक्षा क्यों की?"

  भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, "क्षमा करें आदरणीय माता जी, क्या आपने मुझे पिछले जन्म में चौदह साल के लिए वनवास में नहीं भेजा था।"

  माता देवकी आश्चर्यचकित हो गईं और फिर पूछा, "बेटा कृष्ण, यह कैसे संभव है? तुम ऐसा क्यों कह रहे हो?"

   भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, "माता, आपको अपने पूर्व जन्म के बारे में कुछ भी स्मरण नहीं है। परंतु तब आप कैकेई थीं और आपके पति राजा दशरथ थे।"

    माता देवकी ने और ज्यादा आश्चर्यचकित होकर पूछा, "फिर महारानी कौशल्या कौन हैं?"

    भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, "वही तो इस जन्म में माता यशोदा हैं। चौदह साल तक जिनको पिछले जीवन में मां के जिस प्यार से वंचित रहना पड़ा था, वह उन्हें इस जन्म में मिला है।"
    
अर्थात्, प्रत्येक प्राणी को इस मृत्युलोक में अपने कर्मों का भोग भोगना ही पड़ता है। यहां तक कि देवी-देवता भी इससे अछूते नहीं हैं।
    
अतः अहंकार के बंगले में कभी प्रवेश नहीं करना चाहिए और मनुष्यता की झोपड़ी में जाने से कभी संकोच नहीं करना चाहिए !!!

जय श्री राम जय जय जय सियाराम

🙏🙏🌳🌳🙏🙏

घमण्ड ।।

काशी में सालों साथ रहकर दो पंडितों ने धर्म और शास्त्रों की शिक्षा ली | शिक्षा पूरी होने के बाद दोनों विद्वान अपने-अपने गांव आये | यातायात के साधन के बिना उस समय लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में कई-कई दिन लगते थे और वे रात में विश्राम भी करते थे|

दोनों पंडित भी एक नगर में नगर के सबसे धनी सेठ के यहां आराम के लिए रुके | सेठ ने उनके रहने की उत्तम व्यवस्था की | सेठ दोनों के पास पहुंचा और उसने पाया की दोनों पडितों में बहुत ज्यादा घमंड है | दोनों एक-दूसरे को मूर्ख समझते हैं| उनसे बात कर सेठ को बड़ा बुरा अनुभव हुआ | सेठ में भोजन के समय दोनों को बड़े आदरपूर्वक भोजन कक्ष में बुला कर एक की थाली में चारा और दूसरे की थाली में भूसा परोसा| यह देख गुस्से में आकर पंडितो ने कहा क्या हम जानवर हैं जो यह चारा और भूसा खाएंगे| तुम हमारा अपमान कर रहे हो यह लक्ष्मी द्वारा सरस्वती का अपमान है ।

सेठ ने बड़ी ही शांति से जवाब दिया-इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है| जब मैंने आपमें से एक से दूसरे के बारे में पूछा था, तो एक ने कहा कि वह तो बैल है और दूसरे ने कहा था कि वह तो गधा है| तो मैंने उसी हिसाब से भोजन का प्रबंध किया | सेठ की बातें सुनते ही सुनते ही दोनों को अपनी गलती का एहसास हो गया । 

शिक्षा :-
ज्ञान का घमंड और दूसरों के प्रति बुरे भाव न तो किसी आम आदमी को शोभा देता है और न हीं किसी विद्वान् को | ज्ञान का घमंड करने से अच्छा है कि हम विद्वान् की बजाय इंसान पहले बने..!!
 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
  
🙏🏽🙏🏻🙏🏾 जय जय श्री राधे 🙏🏿🙏🏼🙏

श्रीराम के सोलह गुण जो हमें सीखने चाहिए ।।



▪️प्रियदर्शन (खूबसूरत)

▪️गुणवान (ज्ञानी व हुनरमंद)

▪️कांतिमान (अच्छा व्यक्तित्व)

▪️दृढ़प्रतिज्ञ (मजबूत हौंसले वाला)

▪️सदाचारी (अच्छा व्यवहार, विचार)

▪️सभी प्राणियों का रक्षक (मददगार)

▪️सत्य (सच बोलने वाला, ईमानदार)

▪️विद्वान (बुद्धिमान और विवेक शील)

▪️क्रोध जीतने वाला (शांत और सहज)

▪️कृतज्ञ (विनम्रता और अपनत्व से भरा)

▪️मन पर अधिकार रखने वाला (धैर्यवान)

▪️वीर्यवान (स्वस्थ्य, संयमी और हष्ट-पुष्ट)

▪️सामथ्र्यशाली (भरोसा, समर्थन पाने वाला)

▪️धर्मज्ञ (धर्म के साथ प्रेम, मदद करने वाला)

▪️किसी की निंदा न करने वाला (सकारात्मक)

▪️युद्ध में जिसके क्रोधित होने पर देवता भी डरें 
(जागरूक, जोशीला, गलत बातों का विरोधी)

अच्छी-अच्छी बातें 
━━━━✧❂✧━━━━

स्त्रियों को पति की आज्ञा में रहकर ही पूजा करनी चाहिए ऐसा शास्त्रों ने कहा है। तो अगर पति मना करे तो स्त्रियों का क्या कर्तव्य है?

शङ्का# :--स्त्रियों का परम ब्रत (धर्म) पति की सेवा है। अतः जिनसे पति की सेवा में बाधा होती हो उन्ही व्रत तप आदि को ही पतन कारक समझना चाहिए। जिनसे पतिसेवा रूप महाब्रत में बाधा न हो, तथा पति द्वारा अनुमोदित हों, वैसे जप आदि पतन के कारक नहीं होते, वल्कि उत्थान कारक ही होते हैं। जैसे कि ---
       #भर्तुश्छन्देन_नारीणां_तपो_वा_व्रततकानि_वा।
   #निष्फलं_खलु_यद्भर्तुरच्छन्देन_क्रियेत_हि।।(हरिवंश.पु.विष्णु

प..६६--५४)---पति की अनुज्ञा से नारी को तप व्रत आदि करना चाहिए। पति की अनुज्ञा(सम्मति) के विना ही जो विरोध करके करतीं हैं वह सब निष्फल होता है।।" इस प्रकार कहा गया है।
        
यहाँ यह बात विशेष रूपसे ध्यातव्य है कि--जो स्त्रियां पति की इच्छा के विरुद्ध नहीं हैं, किन्तु उनके #स्पष्ट_मना_करने_पर_भी उन्हें अर्थसंकट में डालकर भी शृङ्गार के चटकीले भड़कीले कीमती वस्त्राभूषण आदि ख़रीदतीं हैं, कामुक tv सिनेमा आदि देखतीं हैं, कामोद्दीपक अण्डा मद्य मांसादि खातीं हैं, परपुरुष से भी अनावश्यक गुह्यभाषण करतीं हैं , हरिदर्शन, हरिकीर्तन, भगवत्प्रसाद नहीं ग्रहण करतीं ,और कारण बतातीं हैं कि #मेरे_पतिदेव_मना_करते_हैं, ऐसी स्त्रियों का पतन ही नहीं #घोर_पतन होता है।

#समाधान 

पति की सेवा में बाधा न हो, फिर भी यदि पति नास्तिकता के कारण अश्रद्धा या दुष्टता के कारण पत्नी को जपादि करने को मना करता हो तो उसकी आज्ञा का अतिक्रमण करके गोपियों की तरह व्रत देवाराधन जप आदि करने पर स्त्रियों का पतन कदापि नहीं होता, #उत्थान ही होता है।
        
जपादि का निषेध उसी स्थिति में है कि पत्नी को पति के अनुकूल होकर ही घरमें भगवान् की सेवा पूजा करनी चाहिए। यदि पति अहङ्कार में मना करे तो उल्लंघन करे लेकिन यदि पति अनुकूल हो तो आज्ञा लेकर ही सेवा करनी चाहिए। यही शिष्टाचार है। 

     पति की ही भाँति सास ससुर माता पिता गुरु, आदि की यथायोग्य लोगों के आशीर्वाद और आज्ञा लेकर ही छोटो को सेवा पूजा करनी चाहिए। बड़ो की और सन्तों की आज्ञा में रहकर वर्तन करना ही शास्त्र की मर्यादा है और इसी से भगवान् प्रसन्न होते हैं।

 यदि बड़े भी नास्तिकता वश जप भजन आदि की आज्ञा न दें, तो उनकी भी आज्ञा का पालन न करने से भी कोई दोष नहीं होता। 

लेकिन बड़े होने के नाते उनकी आज्ञा एक बार लेनी चाहिए, न मानें तो साम दाम लगाकर प्रयास करना चाहिए। जब कोई उपाय न हो तो स्वयम् आज्ञा का उल्लंघन करें।।

इसीलिए गोस्वामी जी ने कहा है ---
   #जाके प्रिय न राम वैदेही।
ताजिय ताहि कोटि वैरी सम यद्यपि परम सनेही।
बलि गुरु त्यजेउ कन्त ब्रज वनितन्हि भये जग मंगल कारी।(विनय .१७४)।। 
सो सब करम धरम जरि जाऊ।।....

- आचार्य मण्डन मिश्र का लेख (थोडा मेरे द्वारा परिष्कृत)

सेहत मंत्र.......

1. फ्रिज का अत्यधिक ठंडा पानी पीने से बड़ी आँत सिकुड़ जाती है।

2. गर्म पानी से नहाने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता क्षीण होती है।

3. खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी कमजोर होती है।

4. चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध होता है।

5. अनार आँव, संग्रहणी, पुरानी खाँसी व हृदयरोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ औषधि है।

6. चोकर खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।

7. जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद या घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले भी नहीं पड़ते।

8. पैर के अँगूठों के नाखूनों को सरसों के तेल से भिगोने से आँखों की खुजली, लाली और जलन ठीक हो जाती है।

9. चोट, सूजन, दर्द, घाव या फोड़ा होने पर उस पर 5 - 20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है। हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में चोट ठीक हो जाती है।

10. प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा और रात्रि का भिखारी के समान करना चाहिए।

11. गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से पीलिया बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।

12. जीरा पेट दर्द में बहुत लाभदायक है। जीरे को तवे पर भून लें। 2-3 ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ दिन में 3-4 बार लें या वैसे ही चबाकर खायें, शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।

13. जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।

14. अधिक झुककर पुस्तक पढ़ने से फेफड़ों को हानि पहुँचती है एवं टीबी होने का भय रहता है।

15. तुलसी के नित्य सेवन से कभी मलेरिया नहीं होता।

16. हृदय रोगियों के लिए अर्जुन की छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसम्मी, सेंधानमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा और छिलकेयुक्त अनाज औषधियाँ हैं।

17. भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है।

18. मुँह से साँस लेने से आयु कम होती है।

19. भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है।

20. दूध के साथ नमक या नमकीन पदार्थ खाने से विभिन्नप्रकार के चर्मरोग होते हैं।

21. मुलेहटी चूसने से कफ बाहर आ जाता है और आवाज मधुर हो जाती है।

22. नीबू का सेवन गन्दा पानी पीने से होने वाले विभिन्न रोगों से बचाता है।

23. खाने के लिए सेन्धानमक सर्वश्रेष्ठ होता है। उसके बाद काले नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।