1. फ्रिज का अत्यधिक ठंडा पानी पीने से बड़ी आँत सिकुड़ जाती है।
2. गर्म पानी से नहाने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता क्षीण होती है।
3. खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी कमजोर होती है।
4. चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध होता है।
5. अनार आँव, संग्रहणी, पुरानी खाँसी व हृदयरोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ औषधि है।
6. चोकर खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
7. जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद या घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले भी नहीं पड़ते।
8. पैर के अँगूठों के नाखूनों को सरसों के तेल से भिगोने से आँखों की खुजली, लाली और जलन ठीक हो जाती है।
9. चोट, सूजन, दर्द, घाव या फोड़ा होने पर उस पर 5 - 20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है। हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में चोट ठीक हो जाती है।
10. प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा और रात्रि का भिखारी के समान करना चाहिए।
11. गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से पीलिया बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
12. जीरा पेट दर्द में बहुत लाभदायक है। जीरे को तवे पर भून लें। 2-3 ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ दिन में 3-4 बार लें या वैसे ही चबाकर खायें, शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।
13. जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
14. अधिक झुककर पुस्तक पढ़ने से फेफड़ों को हानि पहुँचती है एवं टीबी होने का भय रहता है।
15. तुलसी के नित्य सेवन से कभी मलेरिया नहीं होता।
16. हृदय रोगियों के लिए अर्जुन की छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसम्मी, सेंधानमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा और छिलकेयुक्त अनाज औषधियाँ हैं।
17. भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है।
18. मुँह से साँस लेने से आयु कम होती है।
19. भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है।
20. दूध के साथ नमक या नमकीन पदार्थ खाने से विभिन्नप्रकार के चर्मरोग होते हैं।
21. मुलेहटी चूसने से कफ बाहर आ जाता है और आवाज मधुर हो जाती है।
22. नीबू का सेवन गन्दा पानी पीने से होने वाले विभिन्न रोगों से बचाता है।
23. खाने के लिए सेन्धानमक सर्वश्रेष्ठ होता है। उसके बाद काले नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।